थोक महंगाई के आंकड़े सामने आने के कुछ घंटे बाद अब रिटेल महंगाई के आंकड़े भी जारी हो गए हैं। इस बार की रिटेल महंगाई 67 महीनों में सबसे कम दर्ज की गई है, जो अगस्त 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च महीने में भारत की खुदरा महंगाई साल दर साल 3.34% कम हो गई। फरवरी में महंगाई में खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के चलते सात महीने के निचले स्तर 3.61% तक गिर गई थी। अब मार्च में यह आंकड़ा 67 महीनों के बाद सबसे कम हो गया है। हालांकि, 3 से 8 अप्रैल तक 40 अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए रॉयटर्स पोल में अनुमान था कि मार्च में महंगाई 3.60% के आसपास हो सकती है। भारत की खुदरा महंगाई अब भारतीय रिजर्व बैंक के 2-6 प्रतिशत के टॉलरेंस बैंड में है, और यह 4% से भी कम रही है। यह लगातार दूसरा महीना है जब महंगाई न केवल आदर्श 4% के मुद्रास्फीति लक्ष्य से कम रही, बल्कि यह अपेक्षाकृत स्थिर और कम बनी रही है।
महंगाई पर आरबीआई का मत
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस बुधवार को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के फैसलों की घोषणा करते हुए कहा कि महंगाई में गिरावट का रुख देखने को मिला है, जो मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में कमी के कारण संभव हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2026 तक महंगाई और कम हो सकती है, जिससे विशेष रूप से उन परिवारों को राहत मिल सकती है, जो लागत दबाव का सामना कर रहे हैं।
हालांकि, केंद्रीय बैंक ने वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति सतर्क रहने का भी संकेत दिया। 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी "रेसिप्रोकल टैरिफ" योजना को लागू करते हुए कई देशों पर उच्च शुल्क (हाई टैरिफ) लगाए थे, जिसके कारण भारत को अपने सभी सामानों पर 26 प्रतिशत आयात शुल्क का सामना करना पड़ा। हालांकि, राष्ट्रपति ने 9 अप्रैल से शुरू होने वाले 90 दिनों के लिए उच्च दरों को छोड़ दिया, लेकिन 10 प्रतिशत बेस रेट और अतिरिक्त 25 प्रतिशत ऑटो टैरिफ अब भी लागू है।
4 फीसदी रह सकती है महंगाई
मल्होत्रा ने कहा था कि महंगाई के मोर्चे पर, जबकि खाद्य कीमतों में अपेक्षा से अधिक गिरावट ने हमें राहत दी है, हम वैश्विक अनिश्चितताओं और मौसम संबंधी व्यवधानों से उत्पन्न संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, जिनमें अमेरिकी टैरिफ वृद्धि से प्रेरित अनिश्चितताएं भी शामिल हैं, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई पूर्वानुमान को 4 फीसदी पर निर्धारित किया है, जो फरवरी की बैठक में अनुमानित 4.2 फीसदी से थोड़ा कम है। वित्त वर्ष 2026 के लिए आरबीआई को उम्मीद है कि महंगाई की दर पहली तिमाही में 3.6 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 3.8 फीसदी और अंतिम तिमाही में 4.4 फीसदी रहेगी।