राजस्थान के टोंक जिले की निवाई पंचायत समिति के प्रधान रामावतार लांगडी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्हें दो लोगों के साथ बर्बरता करते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो वायरल होते ही निवाई पुलिस हरकत में आ गई और पीड़ित रमेश खारोल ने प्रधान के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई।
पुलिस के अनुसार, रमेश खारोल निवासी निवाई ने बताया कि करीब एक साल पहले उसने प्रधान के फॉर्म हाउस पर आधोली के रूप में खेत लिया था और हाल ही में गेहूं की पैदावार के बाद दोनों पक्षों ने आपसी समझ के अनुसार गेहूं का बंटवारा कर लिया था। जब वह अपने हिस्से के गेहूं के कट्टे और अपने ममेरे भाई के साथ खेत से लौट रहा था, तभी प्रधान रामावतार ने उन्हें पकड़ लिया और गेहूं चोरी का आरोप लगाकर रस्सियों से पिटाई कर दी।
वायरल वीडियो के सामने आने के बाद जिला पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं और पुलिस ने प्रधान के खिलाफ मारपीट की एफआईआर दर्ज कर ली है। सोशल मीडिया पर वीडियो के वायरल होते ही सियासी माहौल गर्म हो गया है। कांग्रेस से जुड़े कार्यकर्ताओं ने वीडियो को शेयर करते हुए भाजपा शासन पर दलितों के खिलाफ अत्याचार के आरोप लगाए हैं और कहा है कि भाजपा नेताओं के लिए कानून कोई मायने नहीं रखता। दूसरी ओर भाजपा से जुड़े और प्रधान के समर्थक इस घटना को पार्टी के अंदरूनी षड्यंत्र का हिस्सा बता रहे हैं। कुछ भाजपा नेता मामले में चुप्पी साधे हुए हैं तो कुछ इसे केवल एक गलतफहमी करार दे रहे हैं।
प्रधान रामावतार लांगडी ने सफाई देते हुए कहा है कि जिन दो लोगों के साथ मारपीट का वीडियो वायरल हुआ है, वे उनके पुराने परिचित और फॉर्म हाउस पर आधोली पर काम करने वाले लोग हैं। उन्होंने दावा किया कि वीडियो केवल हंसी-मजाक में बनाया गया था और उनकी ही पार्टी के एक नेता ने पंचायत राज चुनाव को लेकर उन्हें बदनाम करने की मंशा से इसे सोशल मीडिया पर वायरल किया है। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों के साथ मारपीट दिखाई गई है, वे आज भी उनके फॉर्म हाउस पर काम कर रहे हैं और उनके बीच कोई दुश्मनी नहीं है।
फिलहाल पुलिस वायरल वीडियो की सत्यता और घटना की परिस्थितियों की जांच में जुटी हुई है। वहीं, यह मामला राजनीतिक रंग भी पकड़ता जा रहा है, जहां कांग्रेस इसे दलितों पर अत्याचार का प्रतीक बता रही है और भाजपा आंतरिक कलह या विरोधियों की साजिश मान रही है।