परम शक्ति पीठ की संस्थापक साध्वी ऋतंभरा ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के संसद में पारित होने पर प्रसन्नता जाहिर की है। शुक्रवार, 4 अप्रैल को उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि इस विधेयक का लंबे समय से इंतज़ार था और यह सिर्फ एक धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक सुधार भी है।
उन्होंने कहा, "मुस्लिम समुदाय के भीतर भी कई ऐसे लोग थे जो चाहते थे कि वक्फ अधिनियम में बदलाव हो, क्योंकि वक्फ बोर्ड की सत्ता में बैठे कुछ लोगों का व्यवहार अनुचित और जनविरोधी था। ऐसे में इस विधेयक के पारित होने से मुस्लिम समुदाय में भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।"
साध्वी ऋतंभरा ने आगे कहा कि किसी भी अथॉरिटी को असीमित अधिकार देना और शासन की समानांतर सत्ता खड़ी करना राष्ट्रहित के खिलाफ होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह फैसला व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया है और सभी पक्षों की राय को महत्व दिया गया है।
उन्होंने कहा, "विपक्ष तो विरोध करेगा ही, क्योंकि उनकी राजनीति का आधार ही विरोध है। लेकिन मेरा निवेदन है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को प्राथमिकता देना चाहिए। संसद से पारित यह वक्फ संशोधन विधेयक एक सही दिशा में उठाया गया कदम है और इसे लेकर जनता के बीच संतोष और उम्मीद की भावना है।"
जनसंख्या नियंत्रण कानून पर साध्वी ऋतंभरा की राय: “राष्ट्रहित में जरूरी है ठोस कदम”
नई दिल्ली – परम शक्ति पीठ की संस्थापक साध्वी ऋतंभरा ने देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे राष्ट्रहित में एक अहम कदम बताया है। उनका कहना है कि देश के संसाधन सीमित हैं और यदि जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं किया गया तो विकास की रफ्तार बाधित हो सकती है।
साध्वी ऋतंभरा ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून का आना बहुत ज़रूरी है। आप चाहे जितने भी संसाधन विकसित कर लें, अगर आबादी अनियंत्रित रही तो वे नाकाफी साबित होंगे। यह विषय गंभीर है और इस पर देशभर में चिंतन भी चल रहा है। राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में ठोस कार्यवाही होनी चाहिए।"
राष्ट्रहित की सोच होनी चाहिए, न कि सांप्रदायिक दृष्टिकोण
साध्वी ने आगे कहा कि जब भी हम किसी संवेदनशील या राष्ट्रीय विषय को हिंदू-मुस्लिम चश्मे से देखते हैं, तो मुद्दे की व्यापकता सिमट जाती है।
उन्होंने कहा, "देश के विकास के लिए लोगों की सोच भी व्यापक होनी चाहिए। राष्ट्रहित को केवल जमीन-जायदाद के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि नागरिकों के सामूहिक हित से जोड़कर देखना होगा।"
जनसंख्या असंतुलन से सबसे अधिक प्रभावित होता है हिंदू समाज
अपने बयान में साध्वी ऋतंभरा ने यह भी कहा कि जब देश में जनसंख्या असंतुलन होता है, तो उसका सीधा असर हिंदू समाज पर पड़ता है।
उन्होंने कहा, "कश्मीर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जब-जब जनसंख्या का संतुलन बिगड़ा है, तब-तब हिंदू समाज को नुकसान उठाना पड़ा है। इसलिए यह केवल सांख्यिकीय या धार्मिक मामला नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय संतुलन का सवाल है।"