बॉलीवुड अभिनेता विजय वर्मा ने हाल ही में अपनी त्वचा से जुड़ी बीमारी विटिलिगो के बारे में खुलकर बात की है। उन्होंने बताया कि वह इस बीमारी से लंबे समय से जूझ रहे हैं, जिससे उनकी त्वचा पर सफेद धब्बे हो गए हैं। विजय ने यह भी बताया कि एक समय जब उनके पास कोई नौकरी नहीं थी और ऊपर से यह बीमारी भी थी, तो उन्हें अपने भविष्य को लेकर काफी चिंता होती थी। हालांकि, अब वह इस स्थिति को सहज रूप से स्वीकार कर चुके हैं और इसे सिर्फ एक कॉस्मेटिक समस्या मानते हैं।
विटिलिगो क्या है?
विटिलिगो एक त्वचा संबंधी विकार है, जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों में मेलेनिन (Melanin) नामक पिगमेंट का उत्पादन बंद हो जाता है, जिससे त्वचा पर सफेद धब्बे उभर आते हैं। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है और पुरुषों एवं महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित करती है।
यह बीमारी घातक या संक्रामक नहीं होती है, लेकिन यह व्यक्ति के आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। कई मामलों में विटिलिगो के मरीजों को समाज में भेदभाव और उपेक्षा का सामना भी करना पड़ता है, जिससे उनमें तनाव और कम आत्म-सम्मान (low self-esteem) की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
विटिलिगो के लक्षण
विटिलिगो के लक्षण व्यक्ति दर व्यक्ति अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर निम्नलिखित संकेत दिखाई देते हैं:
- त्वचा पर हल्के सफेद धब्बे जो धीरे-धीरे बड़े हो सकते हैं।
- ये धब्बे चेहरे, गर्दन, हाथ, कोहनी, घुटनों और शरीर की झुर्रियों में ज्यादा देखने को मिलते हैं।
- होठों, उंगलियों के पोरों और जननांगों पर भी धब्बे बन सकते हैं।
- सिर के बाल, भौहें, पलकें और दाढ़ी के बाल सफेद हो सकते हैं।
- कुछ मामलों में, आंखों का रंग भी हल्का हो सकता है।
विटिलिगो के मुख्य कारण
हालांकि विटिलिगो होने के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह समस्या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर का परिणाम हो सकती है। इसके कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया – जब शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली गलती से मेलेनिन उत्पादक कोशिकाओं पर हमला करने लगती है।
जेनेटिक फैक्टर – अगर परिवार में किसी को विटिलिगो है, तो यह आनुवंशिक रूप से आगे बढ़ सकता है।
तनाव और मानसिक दबाव – अत्यधिक मानसिक तनाव भी त्वचा की कोशिकाओं पर असर डाल सकता है।
थायरॉयड या अन्य हार्मोनल असंतुलन – विटिलिगो थायरॉयड, डायबिटीज और अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों से जुड़ा हो सकता है।
विटामिन B12 और फोलिक एसिड की कमी – शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी त्वचा पर प्रभाव डाल सकती है।
त्वचा पर किसी प्रकार की चोट, जलन या सनबर्न – इससे भी प्रभावित क्षेत्र में सफेद धब्बे हो सकते हैं।
क्या विटिलिगो का इलाज संभव है?
विटिलिगो का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कुछ चिकित्सा पद्धतियां और घरेलू उपाय इसे नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं:
चिकित्सीय उपचार
मेडिकेटेड क्रीम और स्टेरॉयड लोशन – डॉक्टर कई बार मेलेनिन उत्पादन को बढ़ाने वाली क्रीम देते हैं।
फोटोथेरेपी (UVB ट्रीटमेंट) – यह त्वचा को अल्ट्रावायलेट बी लाइट की मदद से रिपेयर करने का एक तरीका है।
स्किन ग्राफ्टिंग – यदि विटिलिगो सीमित क्षेत्रों में है, तो स्वस्थ त्वचा को प्रभावित क्षेत्र में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
माइक्रोपिगमेंटेशन या टैटू – कुछ लोग सफेद धब्बों को छिपाने के लिए स्किन टैटू का सहारा लेते हैं।
घरेलू और प्राकृतिक उपाय
एलोवेरा जेल – यह त्वचा को पोषण देकर उसे स्वस्थ बनाता है।
हल्दी और सरसों का तेल – विटिलिगो के धब्बों को कम करने में फायदेमंद हो सकता है।
नीम के पत्तों का रस – शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
सूरज की हल्की रोशनी लेना – विटामिन D की कमी को दूर कर सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट – हरी सब्जियां, गाजर, चुकंदर और फलों का सेवन त्वचा की हेल्थ में सुधार करता है।
विजय वर्मा ने कैसे किया विटिलिगो को स्वीकार?
विजय वर्मा ने बताया कि शुरुआत में इस बीमारी की वजह से वह बहुत परेशान रहते थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने इसे अपनी पहचान का हिस्सा मान लिया। वह अब इस समस्या को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी अनोखी विशेषता (unique feature) मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोग अब विटिलिगो को बेहतर समझने लगे हैं और इसको लेकर समाज में जागरूकता बढ़ रही है।