बेंगलुरु में हुए एक दर्दनाक भगदड़ हादसे में कई मासूम लोगों की जान चली जाने के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने एक अहम कदम उठाया है। बुधवार, 4 जून को पहली बार आईपीएल का खिताब जीतने के बाद RCB टीम जब अपने शहर बेंगलुरु लौटी, तो जश्न का यह माहौल एक भयावह दुर्घटना में बदल गया। चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भारी संख्या में इकट्ठा हुए फैंस की बेकाबू भीड़ के बीच भगदड़ मच गई, जिसमें 11 मासूम प्रशंसकों की जान चली गई। अब RCB ने मृतकों के परिवारों के लिए 10-10 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है।
एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में आयोजित आईपीएल जीत के जश्न में हजारों फैंस शामिल होने के लिए उमड़ पड़े थे। जैसे ही लोग स्टेडियम में घुसने की कोशिश करने लगे, भगदड़ की स्थिति बन गई। इस भगदड़ में जहां 11 लोगों की मौत हो गई, वहीं 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह घटना न सिर्फ बेंगलुरु की ऐतिहासिक जीत की खुशी को गम में बदल गई, बल्कि राज्य सरकार और RCB प्रबंधन की तैयारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए।
हादसे के एक दिन बाद यानी गुरुवार, 5 जून को RCB फ्रेंचाइजी ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर मृतकों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की। फ्रेंचाइजी ने कहा कि इस हादसे से पूरा RCB परिवार अत्यंत दुखी है और पीड़ित परिवारों के साथ उनकी गहरी संवेदनाएं हैं। सभी 11 परिवारों को 10-10 लाख रुपये दिए जाएंगे। साथ ही फ्रेंचाइजी ने ‘RCB केयर्स’ नामक एक विशेष फंड की स्थापना की घोषणा की, जिसके जरिए इस त्रासदी में घायल हुए फैंस की सहायता की जाएगी।
RCB ने मंगलवार, 3 जून को आईपीएल 2025 के फाइनल मुकाबले में पंजाब किंग्स को हराकर अपने 18 वर्षों के लंबे इंतजार को खत्म करते हुए पहली बार ट्रॉफी अपने नाम की थी। इस ऐतिहासिक जीत के बाद पूरा बेंगलुरु उत्सव के मूड में था और फैंस अपनी टीम का स्वागत करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। टीम के शहर में लौटने पर उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया। इसके बाद मुख्यमंत्री, राज्यपाल और विधायकों की मौजूदगी में विधान सभा के बाहर टीम को सम्मानित किया गया। यहां से टीम जब चिन्नास्वामी स्टेडियम में जश्न मनाने पहुंची, तो हजारों की संख्या में फैंस वहां पहले से मौजूद थे। लेकिन टीम जब अंदर ट्रॉफी के साथ सेलिब्रेशन कर रही थी, उसी समय स्टेडियम के बाहर यह भीषण हादसा हो गया, जिसने उत्सव की रौनक को गहरे शोक में बदल दिया और सरकार, प्रशासन और फ्रेंचाइज़ी की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।