9 अप्रैल से होगी चैत्र नवरात्र की शुरुआत, अश्व पर सवार होकर आएगी मां, जानें क्या है घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
By: Karishma Sun, 07 Apr 2024 2:37:39
हिंदू नववर्ष के साथ ही इस वर्ष के चैत्र नवरात्र की शुरुआत नौ अप्रैल को होगी। इस बार मां दुर्गा अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि और कुमार योग में अश्व पर सवार होकर आएगी। पूरे 9 दिन के बाद 17 अप्रैल को मां हाथी पर विदा होगी। इस दौरान नौ दिन तक माता की आराधना के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजनों की धूम रहेगी। इस दिन शक्ति की घट स्थापना कर लोग 9 दिन पूजा करेंगे। माता के सभी 9 रूपों की बड़े उल्लास और खुशी के साथ पूजा की जाती है। हिंदू भक्त वर्ष के इस आनंदमय समय के दौरान उनका दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए मुख्य रूप से देवी शक्ति के तीन मुख्य रूपों - दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी - की पूजा करते हैं। चैत्र नवरात्रि के प्रत्येक दिन शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
9 अप्रैल से होगी शुरुआत
यह त्यौहार हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में पड़ने वाले चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के दौरान हिंदू कैलेंडर के पहले दिन शुरू होता है। इस वर्ष, यह 09 अप्रैल 2024 को शुरू होगा और 17 अप्रैल 2024 को समाप्त होगा। चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि यह भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्यौहार भगवान राम के जन्मदिन राम नवमी के साथ समाप्त होता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि का सबसे शुभ अवसर हिंदू लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद लेने का सबसे अच्छा समय है। चैत्र नवरात्रि के धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों का एक बड़ा प्रतीकात्मक मूल्य जुड़ा हुआ है। चैत्र नवरात्रि के पहले तीन दिन ऊर्जा की देवी माँ दुर्गा को समर्पित हैं; अगले तीन दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी को समर्पित हैं; और अंतिम तीन दिन ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को समर्पित हैं।
नवरात्रि पर घटस्थापना का महत्व
चैत्र नवरात्रि 2024 के त्योहार में घटस्थापना एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है। घटस्थापना का मतलब मिट्टी के बर्तन की स्थापना करना है। इसके लिए शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (चैत्र नवरात्रि का पहला दिन) के दिन सुबह स्नान करने के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेने के बाद मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं और फिर इसे रखा जाता है। घड़े के ऊपर कुलदेवी (कुल/परिवार के देवता) की मूर्ति स्थापित की जाती है और देवी की पूजा करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। अखंड दीपक भी जलाया जा सकता है। इस घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है।
यह है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
पंडित घनश्याम शर्मा के अनुसार नवरात्र में अलग अलग दिन अलग- अलग योग रहेंगे। पहले दिन अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि और कुमार योग में मां दुर्गा की पूजा होगी। इसके बाद 10 अप्रैल को राजयोग व सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।11 अप्रैल को रवियोग, 12 को कुमार, 13 व 14 को रवि, 15 व 16 को रात में सर्वार्थ सिद्धि योग तथा 17 अप्रैल को रवियोग व रामनवमी का अबूझ मुहूर्त भी रहेगा। पंडित घनश्याम शर्मा के अनुसार नवरात्र स्थापना के दिन दोपहर 2:18 बजे तक वैधृति योग होने के कारण इस बार सुबह घट स्थापना नहीं हो सकेगी। ऐसे में अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:04 से दोपहर 12:54 बजे तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकेगी।
अश्व पर सवार होकर आएगी मां
यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्र के समय व वार के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है। ऐसे में इस बार दुर्गा मां अश्व पर सवार होकर आएगी और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेगी।