पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिली है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही गोल्ड 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को छू सकता है। वायदा बाजार में सोने की कीमतें 91,400 रुपये के पार पहुंच गई हैं, जबकि दिल्ली सर्राफा बाजार में यह 94,000 रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी हैं। हालांकि, इसके विपरीत एक चौंकाने वाला अनुमान सामने आया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि आने वाले समय में सोने की कीमतें 1 लाख रुपये नहीं बल्कि 55,000 रुपये तक गिर सकती हैं। यानी गोल्ड अपने मौजूदा उच्चतम स्तर से करीब 40% तक नीचे आ सकता है।
इस साल सोने की कीमतों में करीब 20% की तेजी देखने को मिली है, जिससे निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिला है। लेकिन अब उपभोक्ताओं पर दबाव दिखने लगा है। अमेरिका स्थित मॉर्निंगस्टार के रणनीतिकार जॉन मिल्स ने अनुमान लगाया है कि आने वाले वर्षों में सोने की कीमतों में 38% की गिरावट आ सकती है। भारतीय बाजार में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच चुकी है, जबकि ग्लोबल मार्केट में सोना 3,100 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। यदि 40% की गिरावट होती है, तो भारत में सोने की कीमत 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक आ सकती है और अमेरिका में यह 3,080 डॉलर प्रति औंस से गिरकर 1,820 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है।
गोल्ड मार्केट में ऐसे उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। लंबी अवधि के नजरिए से निवेश के फैसले लेना फायदेमंद साबित हो सकता है। बाजार की चाल को समझने और सही समय पर निर्णय लेने के लिए एक्सपर्ट की राय लेना भी आवश्यक है।
संभावित गिरावट के प्रमुख कारण
पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक अनिश्चितता, बढ़ती महंगाई और भू-राजनीतिक तनाव के कारण सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई है। निवेशकों ने इसे एक सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देखा, विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान ट्रेड विवादों के चलते गोल्ड की कीमतों में बड़ा उछाल देखा गया। हालांकि, अब कई ऐसे कारक हैं जो कीमतों में संभावित गिरावट का संकेत दे रहे हैं।
1. बढ़ी हुई सप्लाई: सोने का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। 2024 की दूसरी तिमाही में माइनिंग प्रॉफिट 950 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच चुका है। वैश्विक सोने के भंडार में 9% की वृद्धि हुई है, जो अब 2,16,265 टन तक पहुंच चुका है। ऑस्ट्रेलिया ने उत्पादन बढ़ाया है, और रीसाइकिल्ड गोल्ड की सप्लाई में भी तेजी आई है, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ सकता है।
2. कम होती डिमांड: केंद्रीय बैंक, जिन्होंने पिछले साल 1,045 टन सोना खरीदा था, अब डिमांड घटाने की योजना बना रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 71% केंद्रीय बैंक या तो अपने सोने के भंडार को कम करने या उसे स्थिर रखने के पक्ष में हैं, जिससे सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
3. मार्केट सैचुरेशन: 2024 में गोल्ड सेक्टर में मर्जर और अधिग्रहण (M&A) की गतिविधियों में 32% की वृद्धि देखी गई है, जो इस बात का संकेत है कि बाजार अपने चरम पर पहुंच चुका है। इसके अलावा, गोल्ड ETF (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड) में हाल ही में हुई वृद्धि पहले भी कीमतों में करेक्शन से पहले देखे गए पैटर्न को दर्शाती है।
BoFA और गोल्डमैन सैक्स को सोने की कीमतों में उछाल की उम्मीद
हालांकि, जॉन मिल्स के पूर्वानुमान के विपरीत, दुनिया की कुछ प्रमुख वित्तीय संस्थाएं सोने की कीमतों को लेकर आशावादी बनी हुई हैं। बैंक ऑफ अमेरिका (BoFA) का अनुमान है कि अगले दो वर्षों में सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है, जबकि गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि साल के अंत तक इसकी कीमत 3,300 डॉलर प्रति औंस होगी। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सोना अपनी मौजूदा गति बनाए रखता है या संभावित गिरावट का सामना करता है।
गोल्ड ने नया स्तर छुआ
अगर बाजार के मौजूदा रुझानों की बात करें तो गुरुवार को देश के वायदा बाजार में सोने की कीमतें नए स्तर पर कारोबार करती नजर आईं। एमसीएक्स (MCX) पर दोपहर 3:35 बजे तक सोना 258 रुपए की गिरावट के साथ 90,470 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था। हालांकि, कारोबारी सत्र के दौरान सोने की कीमतें 91,423 रुपए के नए उच्चतम स्तर तक पहुंच गई थीं। इसका मतलब है कि सोने की कीमतें अपने पीक से करीब 1,000 रुपए नीचे आ चुकी हैं। वहीं, सुबह सोना 91,230 रुपए पर खुला था, जबकि एक दिन पहले यह 90,728 रुपए पर बंद हुआ था।
मौजूदा बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों की नजरें इस पर टिकी हैं कि सोने की कीमतें आगे कौन-सा रुख अपनाती हैं—क्या यह नई ऊंचाइयों को छूएगा या विश्लेषकों की भविष्यवाणी के अनुसार गिरावट की ओर बढ़ेगा?