Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के 6ठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें मां के जन्म की कथा, मंत्र एवं आरती

By: Pinki Thu, 07 Apr 2022 08:45:32

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के 6ठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें मां के जन्म की कथा, मंत्र एवं आरती

आज चैत्र नवरात्रि का 6ठा दिन है। नवरात्रि के 6ठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। कात्यायनी देवी दुर्गा जी का छठा अवतार हैं। शास्त्रों के अनुसार जब तीनों लोकों में महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया था, तब मां दुर्गा कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में प्रकट हुईं। इस वजह से इनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं। शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए।

कात्यायनी देवी का स्वरूप

देवी कात्यायनी सिंह पर सवार होती हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। ये अपनी एक भुजा में तलवार तो एक भुजा में कमल धारण करती हैं, जबकि अन्य दो भुजाएं वरदमुद्रा में होती हैं। सफेद फूलों की माला से इनका गला सुशोभित होता है। इनका वाहन सिंह हैं।

मां कात्यायनी की पूजा विधि (Katyayni Puja Vidhi)

मां कात्यायनी की पूजा गोधूली वेला के समय पीले या लाल वस्त्र धारण करके करनी चाहिए। मां को पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। इस दिन मधु यानी शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है। षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का खास महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु का प्रयोग करना चाहिए। मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंगी।

देवी कात्यायनी का मंत्र (Katyayni Mantra)

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना|
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि||

देवी कात्यायनी का पूजा मंत्र

मां देवी कात्यायन्यै नमः

मां कात्यायनी की कथा (Maa Katyayni Katha)

एक कथा के अनुसार एक वन में कत नाम के एक महर्षि थे। उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया। इसके पश्चात कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया। उनकी कोई संतान नहीं थी। मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने की इच्छा रखते हुए उन्होंने पराम्बा की कठोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें पुत्री का वरदान दिया। कुछ समय बीतने के बाद राक्षस महिषासुर का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया। तब त्रिदेवों के तेज से एक कन्या ने जन्म लिया और उसका वध कर दिया। कात्य गोत्र में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ गया।

देवी कात्यायनी की आरती (Maa Katyayni Aarti)

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com