Navratri 2022: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, जानें महिमा, मंत्र, पूजन विधि और आरती

By: Pinki Wed, 06 Apr 2022 08:08:35

Navratri 2022: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, जानें महिमा, मंत्र, पूजन विधि और आरती

नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि आज यानी 6 अप्रैल 2022 को है। मां स्कंतमाता अपने भक्तों पर पुत्र जैसा स्नेह बरसाती हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करती है। पहाड़ों पर रहने वाली मैया स्कंदमाता का सुमिरन करने से भगवान कार्तिकेय का भी आशीर्वाद मिलता है। स्कंदमाता की कृपा से सूनी गोद भर जाती है। स्कंदमाता की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता हैं।

स्कंदमाता देवी की महिमा

नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है। यह माता चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर बैठती हैं। इसलिए मां को पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं। इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है। पौराणिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना से सूनी गोद भर जाती है।

कैसे करें देवी स्कंदमाता की पूजा? (Skandamata Puja Vidhi)

मां के समक्ष पीली चुनरी में एक नारियल रखें। स्वयं पीले वस्त्र धारण करके 'नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा। ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी' मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद नारियल को चुनरी में बांधकर अपने पास रख लें। इसको अपने शयनकक्ष में सिरहाने पर रखें। स्कंद माता की पूजा से संतान की प्राप्ति सरलता से हो सकती है। इसके अलावा संतान से कोई कष्ट हो रहा हो तो उसका भी अंत हो जाएगा। स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें और पीली चीजों का भोग लगाएं।

ऐसा माना जाता है कि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं। किसी भी पूजा को संपूर्ण तभी माना जाता है जब आप अपने आराध्य की कोई प्रिय वस्तु उन्हें अर्पित करें तो चलिए अब आपको बताते हैं वो विशेष प्रसाद जिसके अर्पण से मां स्कंदमाता प्रसन्न होती है।

मां स्कंदमाता मंत्र (Skandamata Mantra)

ओम् स्कन्दमात्रै नम:

ओम् देवी स्कन्दमातायै नमः

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी

महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी
त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि

मां स्कंदमाता की आरती (Skandamata ki Aarti)

जय तेरी हो स्कंदमाता
पांचवा नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं

कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा

कहीं पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाए
तेरे भगत प्यारे भगति

अपनी मुझे दिला दो शक्ति
मेरी बिगड़ी बना दो

इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये

दासो को सदा बचाने आई
चमन की आस बुझाने आई

मां स्कंदमाता का विशेष प्रसाद

मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं। इसके बाद इसको प्रसाद रूप में ग्रहण करें। इसे ग्रहण करने से संतान और स्वास्थ्य, दोनों की बाधाएं दूर होंगी। शास्त्रों में मां स्कंदमाता की महिमा बताई गई हैं। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। इसलिए मन को एकाग्र और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।

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