Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा, जानें पूजन विधि
By: Priyanka Maheshwari Sat, 25 Mar 2023 09:32:19
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कूष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। ब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदि स्वरूपा या आदि शक्ति कहा गया है। मां कुष्मांडा की पूजा से अजेय रहने का वरदान मिलता है। अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है।
ऐसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप
देवी कुष्मांडा को समर्पित इस दिन का संबंध हरे रंग से जाना जाता है। माता रानी की आठ भुजाएं हैं जिसमें से सात में उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र, और गदा लिया हुआ है। माता के आठवें हाथ में जप माला है। देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।
मां कुष्मांडा की पूजन विधि
नवरात्रि के चौथे दिन जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी देवताओं की पूजा करें। इसके बाद देवी कुष्मांडा की पूजा प्रारंभ करें। पूजा शुरू करने से पहले अपने हाथ में फूल लेकर देवी को प्रणाम करें और देवी का ध्यान करें। इस दौरान आप इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप अवश्य करें, ऊं देवी कूष्माण्डायै नम: । इसके बाद सप्तशती मंत्र, उपासना मंत्र, कवच, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती अवश्य करें। इस दौरान अनजाने में भी हुई खुद से किसी भी भूल की देवी से क्षमा मांग लें।
मां कूष्मांडा को ऐसे करे प्रसन्न
नवरात्रि के चौथे दिन मा कूष्मांडा की पूजा करें। उन्हें भोजन में दही और हलवा का भोग लगाएं। इसके बाद उन्हें फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। देवी मां की सच्चे मन से की गई साधना आपको खुशियों की सौगात दे सकती है।