जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने समरावता हिंसा और आगजनी मामले में आरोपी नरेश मीणा को कोई राहत नहीं दी है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। यह मामला 13 नवंबर 2024 को देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा और आगजनी से जुड़ा हुआ है।
चुनाव प्रचार के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा और एसडीएम के बीच मारपीट हो गई थी, जिसके बाद समरावता क्षेत्र में उपद्रव हुआ। इस घटना को लेकर प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए मीणा को गिरफ्तार कर लिया था। अब हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
राजस्थान हाईकोर्ट में नरेश मीणा की जमानत याचिका पर सुनवाई जस्टिस प्रवीर भटनागर की एकलपीठ में हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से GA-CUM-AAG राजेश चौधरी, मानवेन्द्र सिंह चौधरी, श्रीराम धाकड़ और अमन कुमार ने पैरवी की। लंबी बहस के बाद अदालत ने जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि 13 नवंबर 2024 को देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान फर्जी वोटिंग को लेकर विवाद हुआ था। इसी दौरान नरेश मीणा ने SDM अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। उसी रात समरावता गांव में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं।
इसके बाद नगरफोर्ट थाना पुलिस ने इस मामले में FIR 167/24 दर्ज कर 14 नवंबर को नरेश मीणा को गिरफ्तार किया था। 88 दिन बाद 6 फरवरी 2025 को पुलिस ने ACJM कोर्ट उनियारा में चालान पेश किया। अब हाईकोर्ट ने मीणा की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
ज्ञातव्य है कि मंगलवार को दिन में नरेश मीणा से जेल में पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा मिलने पहुंचे, लेकिन पहले से समय नहीं लेने के कारण मुलाकात नहीं हो सकी। गुढ़ा ने कहा कि मैंने जेल प्रशासन और पुलिस से बात करने के बाद ही झुंझुनूं से टोंक आने का फैसला किया था। मगर अब नियमों का हवाला देकर मुझे नरेश मीणा से मिलने नहीं दिया गया। यह पूरी तरह से अन्याय है।