पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान पर जबरदस्त एयरस्ट्राइक की थी। इस कार्रवाई में भारत ने POK से लेकर पाकिस्तान के अंदर तक कुल 9 शहरों को निशाना बनाया था। इसके बावजूद पाकिस्तान ने आतंकी हमलों को रोकने के बजाय भारत पर ही पलटवार करना शुरू कर दिया। भारतीय सेना ने इन हमलों का मजबूती से जवाब दिया, जिसके बाद पाकिस्तान घुटनों के बल आ गया।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अगले ही दिन से सीजफायर की बात छेड़ दी। उन्होंने कहा कि अगर भारत अब कोई कदम नहीं उठाता है, तो पाकिस्तान भी कोई ऐक्शन नहीं लेगा। यह साफ संकेत था कि पाकिस्तान पीछे हट रहा है और भारत की कार्रवाई ने उसे शांत रहने पर मजबूर कर दिया। भारत ने भी पाकिस्तान की नरमी को देखते हुए सीजफायर को स्वीकार कर लिया।
सीजफायर की यह घोषणा 10 मई को हुई थी, और अब विडंबना यह है कि पाकिस्तान इस दिन को हर साल 'मरका-ए-हक' के रूप में मनाने जा रहा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद इसकी घोषणा करते हुए कहा कि 22 अप्रैल से 10 मई तक का समय उनके रक्षा इतिहास का "शानदार अध्याय" है। लेकिन यह अध्याय वाकई शानदार है या शर्मनाक, यह एक बड़ा सवाल है।
22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने पहलगाम में मासूम पर्यटकों पर हमला किया था, और उस दिन को भी शहबाज शरीफ गौरव के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। एक तरफ पाकिस्तान दावा कर रहा है कि उसने भारत को करारा जवाब दिया, वहीं अब उसने यह भी स्वीकार किया है कि इन संघर्षों में उसके 11 सैनिकों समेत कुल 51 लोग मारे गए।
भारतीय सेना के अनुसार, 6-7 मई की रात को की गई एयरस्ट्राइक में करीब 100 आतंकियों को खत्म कर दिया गया था। पाकिस्तान ने शुरू में इस जानकारी को छिपाए रखा, लेकिन अंततः उसने मरने वालों की संख्या तो बताई, मगर आतंकियों का नाम नहीं लिया।
इतना ही नहीं, मारे गए एक आतंकी के जनाजे में कई पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी भी शामिल हुए थे। जब इस पर सवाल उठे, तो पाकिस्तान ने शुरुआत में इससे इनकार किया, लेकिन जैसे ही उस आतंकी की पहचान उजागर हुई, सरकार चुप हो गई।
अब, इसी पूरे शर्मनाक प्रकरण को ‘मरका-ए-हक’ बताकर हर साल 10 मई को सेलिब्रेट करने का ऐलान पाकिस्तान ने किया है। यह फैसला न सिर्फ हैरान करने वाला है, बल्कि यह दर्शाता है कि पाकिस्तान किस तरह अपनी हार को भी जश्न में बदलने की कोशिश कर रहा है।