भारत की रक्षा तैयारियों को नई धार देते हुए केंद्र सरकार ने सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी (TA) के सभी अधिकारियों और सैनिकों को आवश्यकतानुसार तैनात करने का अधिकार दे दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान के साथ उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर तनाव चरम पर है और भारत ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए हैं।
रक्षा मंत्रालय द्वारा 6 मई 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार, टेरिटोरियल आर्मी नियमावली 1948 के नियम 33 के तहत सेना प्रमुख अब आवश्यकता अनुसार TA के किसी भी अधिकारी या नामांकित जवान को आंशिक या पूर्ण तैनाती के लिए बुला सकते हैं। इसमें सुरक्षा, गार्ड ड्यूटी या नियमित सेना के साथ समन्वय में अभियानात्मक भूमिका शामिल है।
यह निर्णय खासतौर पर उस पृष्ठभूमि में अहम हो जाता है जब 8-9 मई की रात पाकिस्तान ने भारत पर एक साथ 50 से अधिक ड्रोन हमले करने की कोशिश की, जिनका भारतीय सेना ने आधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों जैसे L-70 गन, ZU-23mm, शिल्का और एंटी-ड्रोन उपकरणों से मुंहतोड़ जवाब दिया। हमलों के प्रमुख निशाने जम्मू, उधमपुर, सांबा, नागरोटा, पठानकोट और अखनूर थे।
नई व्यवस्था के तहत टेरिटोरियल आर्मी की 32 इन्फेंट्री बटालियनों में से 14 बटालियन को देश के प्रमुख सैन्य कमानों में तैनात करने की स्वीकृति दी गई है, जिनमें साउथर्न, ईस्टर्न, वेस्टर्न, सेंट्रल, नॉर्दर्न, साउथ वेस्टर्न, अंडमान-निकोबार और आर्मी ट्रेनिंग कमांड (ARTRAC) शामिल हैं।
हालांकि यह तैनाती बजटीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करेगी। यदि किसी अन्य मंत्रालय द्वारा TA की तैनाती की मांग की जाती है, तो उसका खर्च उस मंत्रालय को उठाना होगा। यह आदेश 10 फरवरी 2025 से 9 फरवरी 2028 तक लागू रहेगा।
रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है। किसी भी खतरे का जवाब हमारी संयमित लेकिन निर्णायक सैन्य क्षमता से दिया जाएगा।"