जयपुर। राजस्थान सरकार ने किडनी से पीड़ित मरीजों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब मरीजों को इलाज के लिए जयपुर या अन्य बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। सरकार ‘गुजरात मॉडल’ को अपनाते हुए प्रत्येक जिले में डायलिसिस डे केयर सेंटर स्थापित करने जा रही है। इससे ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों के मरीजों को समय पर और सुलभ इलाज मिल सकेगा।
हर जिले में खुलेंगे 10-10 बेड वाले डायलिसिस वार्ड
राज्य सरकार के नए निर्णय के अनुसार, प्रत्येक जिला चिकित्सालय में 10-10 बेड वाले हीमोडायलिसिस वार्ड खोले जाएंगे। इसके साथ ही गंभीर रोगियों के लिए डे केयर सुविधा भी विकसित की जाएगी। चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज सहित 10 प्रमुख सरकारी मेडिकल कॉलेजों और उनके सहयोगी अस्पतालों को इस संबंध में पत्र जारी किया है, जिसमें मौजूदा हेमोडायलिसिस यूनिट की स्थिति, उपलब्ध मशीनों और नए केंद्रों के लिए संभावित स्थानों की जानकारी मांगी गई है।
बजट 2025-26 में हुई थी घोषणा
राज्य सरकार की यह योजना बजट 2025-26 में घोषित की गई थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में डायलिसिस की सरकारी सुविधा मुख्यतः जयपुर, जोधपुर और अजमेर जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित है। नए केंद्र खुलने से यह सुविधा छोटे जिलों तक पहुंचेगी, जिससे हजारों मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा और बड़े अस्पतालों पर दबाव भी घटेगा।
क्या होते हैं डायलिसिस डे केयर सेंटर?
डायलिसिस डे केयर सेंटर वे विशेष स्वास्थ्य केंद्र होते हैं जहां किडनी फेलियर से जूझ रहे मरीजों को हेमोडायलिसिस या पेरिटोनियल डायलिसिस जैसी सेवाएं मिलती हैं। ये केंद्र पूर्ण रूप से प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा संचालित किए जाते हैं और मरीजों को एक सुरक्षित व आरामदायक माहौल में इलाज मिलता है। मरीज कुछ घंटे रहकर डायलिसिस करवा सकते हैं और उसी दिन घर लौट सकते हैं, जिससे अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं होती।
गुजरात मॉडल से कैसे मिल रही प्रेरणा
गुजरात में पहले से ही ऐसे डायलिसिस डे केयर सेंटर सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। वहां मरीजों को नियमित अंतराल पर डायलिसिस की सुविधा उनके ही जिलों में मिल जाती है, जिससे वे अस्पताल में भर्ती हुए बिना इलाज करवा सकते हैं। राजस्थान सरकार अब इसी मॉडल को अपनाकर राज्य के हर जिले में इस सुविधा का विस्तार कर रही है।
क्या होगा फायदा?
—ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों के मरीजों को नजदीक में ही डायलिसिस सुविधा मिलेगी
—इलाज के लिए बड़े शहरों की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी, समय और धन की बचत होगी
—राज्य के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों का भार घटेगा
—सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और विश्वसनीयता बढ़ेगी
राजस्थान सरकार का यह कदम न केवल स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में अहम है, बल्कि यह किडनी रोगियों के जीवन में राहत और उम्मीद की किरण भी है। गुजरात मॉडल की तर्ज पर यदि योजनाबद्ध ढंग से यह सुविधा लागू होती है, तो आने वाले समय में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कहीं अधिक मजबूत, समावेशी और आमजनोन्मुख हो सकती है।