कोरोना से 11% मरीजों के फेफड़े हुए डैमेज, लंग्स में हुए घाव! स्टडी में हुआ चौकाने वाला खुलासा
By: Priyanka Maheshwari Sat, 03 Dec 2022 4:00:08
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में जमकर कहर बरपाया है। दुनियाभर में कोरोना की वजह से लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। कोविड वायरस का सबसे ज्यादा असर मरीज के फेफड़ों पर देखा गया है साथ ही इस वायरस से चपेट में आने के बाद मरीजों में कई तरह के लक्षण नजर आए। हाल ही में अमेरिकन जरनल ऑफ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन में पब्लिश हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि कोरोना से पीड़ित मरीजों में से अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति वाले लगभग 11% मरीजों के फेफड़े डैमेज हुए थे और उनमें घाव मिले थे। स्टडी के मुताबिक ये इर्रिवसेबल होने के साथ ही समय के साथ और भी खराब हालत में पहुंच सकते हैं।
कोविड-19 मरीजों को लेकर की गई इस स्टडी में कहा गया है कि कोविड मरीज जिनमें अलग-अलग स्थिति में बीमारी की गंभीरता पाई गई थी और उनमें फाइब्रोटिक लंग डेमेज पाया गया था, जिसे इंटरस्टिशियल लंग डिजीज भी कहा जाता है, अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उन्हें फॉलोअप केयर की काफी जरूरत है।
इंटरस्टिशियल लंग डिजीज में कई तरह की बीमारियां शामिल हैं जिसे आम तौर पर फेफड़ों के घाव से जाना जाता है। इसमें आइडोपेथिक लंग फाइब्रोसिस भी है। ये घाव होने से मरीजों को सांस लेने में काफी परेशानी महसूस होती है और ब्लडस्ट्रीम से ऑक्सीजन ली जाती है। आइडोपेथिक लंग फाइब्रोसिस की वजह से फेफड़ों में होने वाला घाव इर्रिवसेबल होने के साथ ही समय के साथ और भी खराब हो जाता है।
माग्रेट टर्नर वारविक सेंटर फॉर फाइब्रोसिंग लंग डिजीज और नेशनल हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट, इंपीरियल कॉलेज लंदन के एडवांस रिसर्च फैलो (रायन फाउंडेशन) और करसपॉंडिंग ऑथर लाइन स्टीवर्ट कहते हैं, ‘हमने ये अनुमान लगाया है कि हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले 11% तक मरीजों में बीमारी से रिकवर होने के बाद फाइब्रोटिक पैटर्निंग मिली है। इसके साथ ही मरीजों में लंबे समय तक सांस लेने में परेशानी और सांस फूलने जैसी समस्याएं देखी गई हैं।’
इस स्टडी में शामिल लाइन स्टीवर्ट आगे कहते हैं, ‘इस स्टडी में बड़ी बात सामने आई है कि जो मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं उनमें से कई मरीजों के फेफड़ों में फाइब्रोटिक एब्नॉर्मलिटीज देखने को मिल सकती हैं।’
बता दें कि इस स्टडी में शामिल मरीजों को मार्च 2021 में अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी और इनसे जुड़ी स्टडी का डेटा अक्टूबर 2021 तक कलेक्ट किया गया था। अब स्टडी के अगले चरण का एनालिसिस भी शुरू हो चुका है और साल 2023 की शुरुआत में इसके नतीजे सामने आ सकते हैं।
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