पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शनिवार को एक दिल दहला देने वाले आत्मघाती हमले में कम से कम 16 सैनिकों की जान चली गई। इस भीषण हमले में 25 जवान बुरी तरह से घायल हो गए, जिन्हें पास के सैन्य अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। यह हमला तब हुआ जब सेना का एक काफिला उत्तर-पश्चिमी जिले नॉर्थ वजीरिस्तान से होकर गुजर रहा था — वही इलाका जो सालों से आतंक की साज़िशों का अड्डा बना हुआ है और जहां आम लोगों की ज़िंदगी हमेशा खतरे में रहती है।
इस आत्मघाती हमले में एक हमलावर ने विस्फोटकों से लदी गाड़ी को सैन्य काफिले से टकरा दिया, जिससे जोरदार धमाका हुआ और मौके पर चीख-पुकार मच गई। धमाके की आवाज़ कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी और लोग डर के मारे घरों में दुबक गए। हमले की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिन्हें देखकर किसी का भी दिल दहल जाए। फिलहाल किसी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि इसके पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) या उससे जुड़े किसी आतंकी गुट का हाथ हो सकता है।
हमले के बाद पूरे इलाके में सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। वहीं दूसरी ओर, शहीद हुए जवानों के परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। यह हमला न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है, बल्कि देश की आतंरिक स्थिरता को भी हिला देने वाला है।
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 में चिंताजनक हालात
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 की ताजा रिपोर्ट पाकिस्तान के लिए और भी ज्यादा चिंता बढ़ाने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अब आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। 2023 में जहां आतंकी हमलों में 748 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 1,081 तक पहुंच गया — यानी करीब 45% की भयावह बढ़ोतरी।
खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे इलाके चरमपंथी ताकतों के ठिकाने बन चुके हैं। यहां सुरक्षा बलों के साथ-साथ आम नागरिक भी आए दिन आतंक का शिकार बन रहे हैं। यह स्थिति बताती है कि पाकिस्तान को अब अपनी सुरक्षा नीति और आतंकवाद के खिलाफ रणनीति पर गंभीरता से पुनर्विचार करना होगा।