राजस्थान के झुंझुनू जिले के नवलगढ़, गोठड़ा और गुढ़ा थाना क्षेत्रों में फर्जी रजिस्ट्री के कई मामलों ने राज्य में जमीन माफिया के तेजी से फैलते नेटवर्क और उसकी संगठित अपराध प्रणाली को उजागर कर दिया है। पुलिस ने करोड़ों की जमीनों पर अवैध कब्जे के मामलों में कई गिरफ्तारियां की हैं, वहीं कुछ आरोपी अब भी फरार हैं। इन मामलों ने सरकारी कार्यालयों की मिलीभगत और जालसाजी की गहराई को बेनकाब कर दिया है।
भू-माफियाओं का नया तरीका: फर्जी पहचान, झूठे दस्तावेज और सरकारी तंत्र की मिलीभगत
पुलिस जांच में सामने आया है कि भू-माफिया गैंग ने फर्जी आधार, बनावटी पहचान पत्र और नकली गवाहों की मदद से सरकारी रजिस्ट्री कार्यालयों में जालसाजी को अंजाम दिया। एएसपी राजवीर सिंह के अनुसार, इन मामलों में न केवल जालसाज शामिल हैं बल्कि रजिस्ट्री कार्यालय के कुछ कर्मचारी भी संदेह के घेरे में हैं।
केस-1: नवलगढ़ में 7 बीघा जमीन का फर्जी सौदा
इस मामले में वार्ड नंबर 1, सेठवाली ढाणी की करीब 7 बीघा जमीन का 3 जनवरी 2025 को नवलगढ़ उप पंजीयक कार्यालय में फर्जी तरीके से विक्रय पत्र तस्दीक करवाया गया। फर्जी विक्रेता ने नकली मूल निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर हनुमान सिंह के नाम से रजिस्ट्री करवाई।
पुलिस जांच में इस जालसाजी में मालमसिंह, रोहिताश, एडवोकेट अनुराग सोनी, अशोक सिंह, विनोद, और रजिस्ट्री कार्यालय के कर्मचारी तक शामिल पाए गए।
केस-2: गोठड़ा में अधिग्रहण क्षेत्र की 5 बीघा भूमि का फर्जी सौदा
13 मार्च 2024 को श्री सीमेंट अधिग्रहण क्षेत्र की 5 बीघा भूमि को फर्जी दस्तावेजों से बेच दिया गया। असल में यह जमीन भागीरथ नामक व्यक्ति के नाम दर्ज थी, जो कि कभी जन्मा ही नहीं था। कोलकाता से लाए गए सूरज कुमार को फर्जी भागीरथ बनाकर प्रस्तुत किया गया और दड़की नाम की महिला के नाम रजिस्ट्री कर दी गई। पुलिस ने सूरज कुमार और सहयोगी प्रदीप गोयनका को गिरफ्तार कर लिया है।
केस-3: गुढ़ा में 50 बीघा जमीन हड़पने को ‘फर्जी रामप्यारी’ की पेशी
यह मामला सबसे चौंकाने वाला है, जिसमें भोडक़ी गांव की 10.09 हैक्टेयर भूमि में से आधी जमीन फर्जी ‘रामप्यारी’ के नाम पर 12 जून 2020 को रजिस्ट्री करवाई गई। जबकि असली रामप्यारी तो 55 साल पहले गांव छोड़ चुकी थी और अब 78 वर्ष की है।
जांच में फर्जी रामप्यारी की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस ने भूमि खरीदने वाले प्रमोद और नरेश के साथ-साथ राजमनीष, गणेश गुप्ता और श्रीराम को भी आरोपी बनाया है। फर्जी रामप्यारी की तलाश अभी जारी है और पुलिस ने उसके खिलाफ इश्तहार जारी कर दिया है।
संगठित रैकेट का बड़ा संकेत
इन सभी मामलों में समान पैटर्न देखने को मिला—फर्जी दस्तावेज, बनावटी गवाह, पहचान पत्रों में हेराफेरी और सरकारी तंत्र की संभावित मिलीभगत। ये संकेत करते हैं कि यह कोई मामूली धोखाधड़ी नहीं बल्कि एक संगठित नेटवर्क की कारगुजारी है, जो करोड़ों की जमीनें हड़पने के मकसद से राज्यभर में सक्रिय है।
पुलिस का दावा: जल्द सामने आएंगे और नाम
एएसपी राजवीर सिंह ने बताया कि पुलिस इस पूरे नेटवर्क को बेनकाब करने में जुटी है और जल्द ही और गिरफ्तारियां होंगी। तकनीकी जांच से लेकर आधारकार्ड नंबर की ट्रेसिंग के जरिए पुलिस अपराधियों तक पहुंच रही है। फर्जी रजिस्ट्री कराने में जिन सरकारी कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है, उन पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।
झुंझुनू जिले में सामने आए ये प्रकरण न केवल जमीन माफिया की बढ़ती हिम्मत को दर्शाते हैं, बल्कि प्रशासनिक तंत्र में मौजूद खामियों को भी उजागर करते हैं। फर्जी ‘रामप्यारी’ जैसी घटनाएं यह साबित करती हैं कि यदि समय रहते इन पर नकेल नहीं कसी गई तो यह संगठित अपराध भविष्य में और भी खतरनाक रूप ले सकता है। राज्य सरकार और प्रशासन को मिलकर इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे ताकि आम नागरिकों की जमीनें सुरक्षित रह सकें।