जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक श्री गोविंददेवजी मंदिर में शुक्रवार को रथयात्रा महोत्सव अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर श्रद्धालुजन की भारी भीड़ उमड़ी और पूरे मंदिर परिसर में दिव्यता और आनंद का वातावरण छा गया। ठाकुर श्री गोविंददेवजी की रथयात्रा ने न केवल परंपरा को सजीव किया, बल्कि भक्तों के हृदयों में आस्था का संचार भी किया।
अभिषेक और विशेष शृंगार से हुई शुरुआत
सुबह प्रातःकालीन मंगला झांकी के दर्शन के साथ रथयात्रा महोत्सव की शुरुआत हुई। ठाकुर श्री गोविंददेवजी का भव्य अभिषेक किया गया, जिसके पश्चात उन्हें विशेष लाल रंग के लप्पा जामा वस्त्र धारण कराए गए। ठाकुर जी को अलंकारों और पुष्पमालाओं से विशेष रूप से सजाया गया। मंदिर में भक्तों द्वारा पांच प्रकार की दालों से भिजौना और पाँच ऋतु फलों का नैवेद्य समर्पित किया गया।
गूंजा संकीर्तन, भक्तिमय हुआ वातावरण
सुबह 6 बजे से ही मंदिर परिसर में गौड़ीय वैष्णव मंडली और मंदिर परिवार द्वारा मंगलाचरण एवं महामंत्र संकीर्तन प्रारंभ किया गया। "हरे कृष्ण हरे राम" की दिव्य ध्वनि से मंदिर परिसर गूंज उठा और उपस्थित श्रद्धालु भक्ति में सराबोर हो गए।
चांदी के रथ पर ठाकुर जी का विग्रह
महोत्सव के मुख्य भाग में, महंत अंजन कुमार गोस्वामी द्वारा गौर गोविंद श्री विग्रह को चांदी से निर्मित भव्य रथ पर विराजित किया गया। इसके बाद मंदिर परिसर में चार बार भव्य परिक्रमा करवाई गई। रथयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ ठाकुर जी की अगवानी की और पुष्पवर्षा की।
गर्भगृह में पुनः विराजित, हुआ समापन
चार परिक्रमाओं के पश्चात गौर गोविंद विग्रह को पुनः रथ सहित गर्भगृह में विधिपूर्वक विराजमान किया गया। महोत्सव का समापन धूप आरती और दर्शन के साथ हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर ठाकुर जी के दिव्य स्वरूप का दर्शन लाभ प्राप्त किया।
श्री गोविंददेवजी की रथयात्रा महोत्सव ने एक बार फिर जयपुर की समृद्ध धार्मिक परंपरा को जीवंत कर दिया। भक्तों के उत्साह, मंदिर की भव्य सजावट और शुद्ध भक्ति से परिपूर्ण माहौल ने इस आयोजन को एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव बना दिया। यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और प्रभु दर्शन का दुर्लभ अवसर भी सिद्ध हुआ।