राजस्थान की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है, और इस बार मुद्दा है बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाला। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें राजनीति छोड़कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर घोटाले में जिन लोगों की जिंदगी भर की जमा पूंजी डूब गई, उन्हें इंसाफ दिलाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
"उद्घाटन से बड़ा मुद्दा है पीड़ितों का दर्द"
जयपुर में पत्रकारों से बात करते हुए अशोक गहलोत ने हालिया उद्घाटन विवाद को खारिज करते हुए कहा कि उनके लिए उद्घाटन कार्यक्रमों से ज्यादा जरूरी है उन लोगों की तकलीफ जिन्हें संजीवनी घोटाले में जीवनभर की कमाई गंवानी पड़ी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी उद्घाटन को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई, और यह बेवजह का इश्यू बनाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है।
"मेरे खिलाफ किया डिफेमेशन केस, अब बातचीत करें"
गहलोत ने यह भी कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया हुआ है, लेकिन अब समय है कि वे इस विषय में सकारात्मक रुख अपनाएं। उन्होंने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि अब वे मेरी भावनाओं को समझेंगे और डिफेमेशन केस वापस लेंगे।"
"कैबिनेट मंत्री बनना बड़ी जिम्मेदारी है"
गहलोत ने गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदा केंद्रीय मंत्री की भूमिका का हवाला देते हुए कहा कि यह कोई छोटी बात नहीं है, और इस पद की जिम्मेदारी समझते हुए उन्हें आगे आकर संजीवनी घोटाले के पीड़ितों से संवाद करना चाहिए। उन्होंने कहा, “दो-तीन बार सांसद बनने के बाद वे अब केंद्रीय मंत्री हैं, उन्हें चाहिए कि वे इस गंभीर मुद्दे पर पहल करें।”
"लोगों की जिंदगी भर की पूंजी डूब गई"
गहलोत ने भावुक अंदाज़ में कहा कि उन्होंने खुद ऐसे पीड़ितों से मुलाकात की है जिन्होंने अपने गहने बेचकर, पेंशन तक की रकम लगाकर इस सोसायटी में निवेश किया और अब पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। "ऐसे लोगों को न्याय दिलाना केवल सरकार या विपक्ष की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि मानवीय कर्तव्य है," उन्होंने कहा।
"राजनीति से ऊपर उठकर करें संवाद"
गहलोत ने शेखावत से सीधा संवाद स्थापित करने की बात कहते हुए प्रस्ताव दिया कि एक बार संघर्ष समिति और पीड़ितों के प्रतिनिधियों को बुलाकर खुले मन से बातचीत की जाए। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में जो भी प्रयास कर रही है, वह राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय उद्देश्य से प्रेरित है।
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में लाखों लोगों की पूंजी डूबने के बाद से राजस्थान की राजनीति में समय-समय पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा है। लेकिन अशोक गहलोत का यह ताजा बयान इस विवाद को एक नए मोड़ पर ले जाता है, जहां उन्होंने राजनीतिक बयानबाज़ी से आगे बढ़कर एक रचनात्मक संवाद का प्रस्ताव दिया है। अब देखना यह होगा कि गजेंद्र सिंह शेखावत इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वाकई पीड़ितों के लिए कोई ठोस समाधान निकलता है या नहीं।