प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कनाडा के कनानास्किस पहुंचे हैं, जहां उन्होंने जलवायु, वैश्विक दक्षिण और भू-राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित चर्चाओं में भाग लिया। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में उन्होंने कई देशों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की, जिनमें इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी भी शामिल हैं, जो हाल के वर्षों में भारत के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी की पक्षधर रही हैं।
मेलोनी ने पीएम मोदी से मुलाकात की एक गर्मजोशी भरी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की और लिखा, "इटली और भारत के बीच मजबूत दोस्ती है, जो समय के साथ और गहरी होती जा रही है।" इस पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने भी ट्विटर (अब X) पर प्रतिक्रिया दी, "मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूं। भारत और इटली की यह दोस्ती न केवल मजबूत होगी बल्कि यह हमारे लोगों के दीर्घकालिक हित में होगी।"
Fully agree with you, PM Giorgia Meloni. India’s friendship with Italy will continue to get stronger, greatly benefitting our people!@GiorgiaMeloni https://t.co/LaYIIZn8Ry
— Narendra Modi (@narendramodi) June 17, 2025
वैश्विक नेताओं से हुई उपयोगी द्विपक्षीय चर्चाएं
सम्मेलन के इतर पीएम मोदी ने दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के प्रमुख नेताओं से भी विशेष द्विपक्षीय मुलाकातें कीं, जिनमें व्यापार, रक्षा सहयोग और वैश्विक आपूर्ति शृंखला जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने मैक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम पार्डों से अपनी पहली ऐतिहासिक मुलाकात की। दोनों नेताओं ने ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं और संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसे अहम विषयों पर अपने विचार साझा किए।
इसके अतिरिक्त, पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज से भी मुलाकात की। इस भेंट को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर साझा करते हुए लिखा, "G7 सम्मेलन के दौरान ऑस्ट्रेलिया के अपने मित्र पीएम अल्बनीज से मिलकर अच्छा लगा। हमारे द्विपक्षीय संबंध लगातार और सशक्त हो रहे हैं।"
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ हुई बातचीत को भी उन्होंने विशेष रूप से उल्लेखित किया। उन्होंने लिखा कि रामफोसा से बातचीत करके उन्हें खुशी हुई और यह वार्ता वैश्विक सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण रही। सम्मेलन में भाग लेने से पहले पीएम मोदी ने कहा था कि वे विश्व नेताओं से मिलकर कई ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करेंगे, खासतौर पर ग्लोबल साउथ यानी दक्षिणी गोलार्ध के देशों की चिंताओं और जरूरतों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से उठाएंगे।