नई दिल्ली। जहां एक ओर वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं, वहीं दूसरी ओर कम से कम सात राज्यों ने इस कानून के समर्थन में शीर्ष अदालत का रुख किया है। इन राज्यों ने हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि वे अदालत के समक्ष अपने पक्ष और तर्क प्रस्तुत करना चाहते हैं।
इन राज्यों का कहना है कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जरूरी सुधार लेकर आया है, जो प्रशासन को अधिक जवाबदेह और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इन राज्यों के प्रमुख तर्क इस प्रकार हैं:
मध्य प्रदेश:
राज्य सरकार का कहना है कि इस अधिनियम पर उठाए गए संवैधानिक आपत्तियाँ—जैसे कि भेदभाव, न्यायिक समीक्षा की अनुपस्थिति, और मनमानी—निर्थक हैं और उन्हें प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज कर दिया जाना चाहिए।
राज्य ने यह भी कहा कि वक्फ अधिनियम का उद्देश्य पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन के मानकों को बेहतर बनाकर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में ठोस सुधार लाना है।
छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ सरकार की दलील है कि यह कानून वक्फ बोर्ड को और अधिक समावेशी बनाता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के विभिन्न फिरकों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है, ताकि वक्फ की प्रशासनिक व्यवस्था और प्रभावी हो सके।
राज्य का मानना है कि 2005 का संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में एक पारदर्शी और जवाबदेह तंत्र को स्थापित करता है, जो व्यवस्थागत बदलाव लाने की दिशा में प्रयासरत है।
असम:
असम ने यह स्पष्ट किया है कि अधिनियम में जोड़ा गया नया प्रावधान—धारा 3E—यह सुनिश्चित करता है कि अनुसूचित या जनजातीय क्षेत्रों (पांचवीं और छठी अनुसूचियों के अंतर्गत आने वाले) की भूमि को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता। असम के कुल 35 जिलों में से 8 जिले छठी अनुसूची में शामिल हैं।
राजस्थान:
राजस्थान सरकार का कहना है कि यह कानून न केवल संवैधानिक रूप से वैध है बल्कि यह पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही जैसे मूल्यों पर आधारित है। यह न केवल धार्मिक न्यासों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि आम जनता के अधिकारों का भी संरक्षण करता है।
राज्य की याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम किसी भी धार्मिक समूह के खिलाफ भेदभाव नहीं करता, बल्कि अवैध दावों को रोकने के लिए एक व्यावहारिक नियामकीय ढांचा प्रदान करता है। साथ ही, अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाएं राज्य प्रशासन की वास्तविकताओं को समझने में विफल रही हैं।
महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड:
इन तीनों राज्यों ने भी सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामों में कहा है कि संशोधन अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक तकनीक-सक्षम, कानूनी रूप से मजबूत और सुव्यवस्थित ढांचा तैयार करता है। साथ ही, यह वक्फ लाभार्थियों के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है।