राजस्थान में बढ़ते जल संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक दूरदर्शी और साहसिक कदम उठाया है। उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल को पत्र लिखकर चिनाब नदी बेसिन से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण जल परियोजनाओं को शीघ्र लागू करने की मांग की है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य न केवल राजस्थान, बल्कि समूचे उत्तर भारत को जल संकट से राहत दिलाना है। मुख्यमंत्री के इस प्रयास को राजस्थान के भावी विकास के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
हिमालय से बहने वाले जल का होगा समुचित उपयोग
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने पत्र में प्रस्तावित किया है कि हिमालय से निकलने वाली चिनाब जैसी नदियों के अतिरिक्त जल को ब्यास, रावी और उझ जैसी पूर्व की ओर बहने वाली नदियों में मोड़ा जाए। इससे न केवल इन नदियों में जलस्तर बढ़ेगा, बल्कि सिंचाई और पेयजल के लिए जल संसाधनों का पुनर्वितरण भी संभव होगा। यह योजना इंटर-बेसिन वाटर ट्रांसफर के सिद्धांत पर आधारित है, जो जल संकट से जूझते राज्यों के लिए एक व्यवहारिक समाधान हो सकता है।
राजस्थान की जल जरूरतें और प्रस्तावित समाधान
मुख्यमंत्री ने पत्र में राजस्थान की विशिष्ट जल आवश्यकताओं का उल्लेख किया है:
पेयजल के लिए: 1.0 MAF (मिलियन एकड़ फीट)
सिंचाई के लिए: 1.0 MAF
औद्योगिक जरूरतों के लिए: 0.2 MAF
झीलों व जलाशयों में संग्रह की क्षमता: 1.0 MAF
इन जरूरतों को पूरा करने के लिए तीन जल परियोजनाओं को लागू करना बेहद जरूरी है। इस प्रस्ताव से स्पष्ट है कि सरकार दीर्घकालिक जल संकट का समाधान ढूंढ़ने में गंभीर है।
इन परियोजनाओं से होंगे ये तीन बड़े फायदे
1. सतलुज और ब्यास नदियों में अतिरिक्त जल
अगर चिनाब का पानी इन नदियों तक लाया जाता है तो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान को लाभ होगा। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में जल वितरण संतुलन बनाया जा सकेगा।
2. इंदिरा गांधी नहर को मिलेगा और जल
राजस्थान की जीवनरेखा मानी जाने वाली IGNP को अधिक जल मिलने से पश्चिमी राजस्थान के लाखों लोगों को पीने और सिंचाई के लिए राहत मिलेगी।
3. औद्योगिक विकास को मिलेगा बल
औद्योगिक क्षेत्रों में पर्याप्त जल आपूर्ति से नए निवेश आकर्षित होंगे और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।
केंद्र से मिली पहल को प्राथमिकता देने की अपील
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पत्र में आग्रह किया है कि केंद्र सरकार इन परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर लागू करे। उनका मानना है कि ये परियोजनाएं राजस्थान के दीर्घकालिक जल संकट को हल करने में निर्णायक साबित हो सकती हैं और राज्य को आर्थिक रूप से भी मजबूत करेंगी।
जल संरक्षण के लिए जन जागरूकता अभियान
इन परियोजनाओं के साथ ही मुख्यमंत्री जल संरक्षण को लेकर जन आंदोलन की तैयारी में भी जुटे हैं। वे 18 जून को ‘वंदे गंगा अभियान’ के तहत राजसमंद, जालौर और बाड़मेर जिलों का दौरा करेंगे। इस दौरान वे:
—जल संरक्षण कार्यक्रमों में भाग लेंगे
—धार्मिक स्थलों पर जल पूजन करेंगे
—आमजन से संवाद कर जल बचाने की अपील करेंगे
मुख्यमंत्री की यह कोशिश जल संरक्षण के प्रति जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने और सामुदायिक चेतना जगाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
राजस्थान जैसे शुष्क राज्य के लिए पानी केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि जीवन रेखा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा चिनाब बेसिन की तीन जल परियोजनाओं को केंद्र से लागू कराने की पहल, आने वाले वर्षों में जल संकट से राहत का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। साथ ही, वंदे गंगा अभियान जैसे जन आंदोलन राजस्थान को जल संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी बना सकते हैं। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर कितनी जल्दी अमल करती है और राजस्थान को कितना लाभ मिलता है।