मुंबई। स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा को हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिका लंबित रहने तक कुणाल कामरा को गिरफ्तार न किया जाए। कोर्ट ने मुंबई पुलिस को निर्देश दिया है कि यदि कुणाल कामरा का बयान दर्ज करना हो तो मुंबई पुलिस, चेन्नई पुलिस की मदद से वहां जाए और बयान दर्ज करे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए निचली अदालत को आदेश दिया है कि अगर कामरा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाती है तो वह मामला शुरू न करे। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति श्रीराम मोदक की पीठ ने पिछले सप्ताह इस याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना अंतिम फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है मामला?
कुणाल कामरा ने अपने एक शो के दौरान शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच विभाजन को लेकर टिप्पणी की थी। इस दौरान कुणाल कामरा ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर व्यंग्यात्मक गाना भी गाया था, जिसके बाद शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कॉमेडियन के खार स्थित स्टूडियो में तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं, राज्य के अलग-अलग हिस्सों में कुणाल के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए। इन सभी मामलों को खार पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया, जिसके बाद इन सभी मामलों को रद्द करने के लिए कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कुणाल कामरा ने कोर्ट में दलील दी कि उनके खिलाफ जितने मामले दर्ज किए गए हैं, वह एक राजनीतिक पार्टी के इशारे पर किए हुए हैं। कामरा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दावा किया है कि केवल एक राजनीतिक नेता के खिलाफ व्यंग्यात्मक गाना गाने के लिए की गई कार्रवाई एक राजनीतिक दल के इशारे पर की गई। भारतीय संविधान के मुताबिक, हास्यप्रद प्रदर्शन पत्येक व्यक्ति को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला है।
शिकायतकर्ता शिवसेना शिंदे गुट के विधायक मुरजी पटेल ने अदालत में दावा किया है कि कुणाल कामरा ने जो गाना गाया है, उसकी वजह से दोनों राजनीतिक पार्टी के बीच दुश्मनी पैदा कर सकती है। हालांकि, कामरा ने जिस पर व्यंग्यात्मक गाना गाया है, उस शख्स ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। कानूनी कार्रवाई के अलावा, कुणाल कामरा को शिवसेना कार्यकर्ताओं की ओर से कई बार जान से मारने की धमकी भी दी गई। इन सब के बावजूद कामरा के वकील नवरोज सिरवाई ने कोर्ट में दावा किया कि पुलिस ने पूछताछ करने के लिए मुंबई आने को कहा। इसके लिए मुंबई पुलिस ने तीन बार कामरा को समन भेजा था।
हाईकोर्ट में सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने कुणाल कामरा पर आरोप लगाया है कि कुणाल कामरा का व्यंग्य जानबूझकर किया गया था। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि जब कोई संज्ञेय अपराध दर्ज किया जाता है, तो संविधान की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग नहीं होता। कामरा का व्यंग्यात्मक गाना जानबूझकर किसी व्यक्ति को निशाना बनाने जैसा था। व्यंग्यात्मक आलोचना करने में और निशाना बनाने में अंतर होता है और कामरा का व्यंग्यात्मक गाना किसी खास व्यक्ति को निशाना बनाना था। इसलिए, यह हास्यपूर्ण आलोचना की श्रेणी में नहीं आता।
वकील ने आगे कहा कि कुणाल कामारा कई सालों से यूट्यूब चैनल चला है, तो उनको इस आलोचना का परिणाम पता था। इसलिए, यह जानबूझकर की गई टिप्पणी थी। वे इस देश के पढ़े-लिखे और जागरूक नागरिक हैं। आर्टिकल 19 के नाम पर कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को निशाना बनाकर उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल नहीं कर सकता। कुणाल कामरा के हास्य ने एकनाथ शिंदे की प्रतिष्ठा को धूमिल किया।
कुणाल के वीडियो ने दो पार्टियों के बीच नफरत पैदा की। हितेन वेनेगांवकर ने यह भी कहा कि लाखों सदस्यों वाली एक राजनीतिक पार्टी एक 'समुदाय' है। वेनेगांवकर ने यह भी स्पष्ट किया कि कुणाल कामरा को मिली धमकियों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें पूरी सुरक्षा दी।