इजरायल और ईरान ने 12 दिन तक चले खूनी संघर्ष के बाद आखिरकार एक-दूसरे पर हमले बंद कर दिए और मंगलवार (24 जून, 2025) को दोनों पक्ष युद्धविराम पर सहमत हो गए। लेकिन इस युद्ध के दौरान, जो सबसे बड़ा झटका अमेरिका और इजरायल को लगा, वो था ईरान का यूरेनियम से जुड़ा चौंकाने वाला 'खेल'।
दरअसल, ईरान की तीन अहम न्यूक्लियर साइट्स—नतांज, फोर्डो और इस्फहान—पर इजरायली और अमेरिकी हमलों की बौछार हुई। लेकिन जवाब में ईरान ने जो चाल चली, उसने ट्रंप और नेतन्याहू की पेशानी पर चिंता की लकीरें खींच दीं।
13 जून को जब इजरायल ने पहला हमला किया, तब उसने दावा किया था कि ईरान तेजी से परमाणु हथियार बना रहा है। लेकिन अमेरिका की एबीसी न्यूज के हवाले से सामने आया कि ईरान का 400 किलोग्राम यूरेनियम गायब है! और ये वही मात्रा है, जिससे 10 एटम बम बनाए जा सकते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में इजरायली अधिकारियों ने संकेत दिया कि ईरान ने हमलों से पहले ही यूरेनियम को एक गुप्त जगह पर पहुंचा दिया था। यानी जब अमेरिका और इजरायल हमले की तैयारी कर रहे थे, ईरान पहले ही 'गेम' सेट कर चुका था।
सैटेलाइट इमेज ने भी इस रहस्य को और गहरा कर दिया है। हमले से पहले फोर्डो न्यूक्लियर साइट के बाहर जो 16 ट्रक खड़े दिखाई दिए थे, हमले के बाद की तस्वीरों में वो सब गायब थे। अब अमेरिका और इजरायल इस सवाल में उलझे हैं—वो ट्रक कहां गए?
फोर्डो जैसी साइट, जो पहाड़ों के 300 फीट नीचे बनी है, को हमेशा सुरक्षित माना गया है। लेकिन अमेरिकी B-2 बमवर्षकों ने यहां बंकर बस्टर बम गिराए। फिर भी यूरेनियम कहां गया, इसका जवाब किसी के पास नहीं।
IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बताया कि युद्ध से ठीक एक हफ्ता पहले यह यूरेनियम भंडार देखा गया था। लेकिन अब जब निरीक्षण की सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, सैन्य तनाव ने उस पर ब्रेक लगा दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने की सारी डिप्लोमैटिक उम्मीदें कमजोर हो रही हैं।
21 जून को अमेरिका ने एक और बड़ा हमला किया था, जब उसकी गाइडेड मिसाइल पनडुब्बी USS Georgia ने ईरान के दो परमाणु ठिकानों पर 30 टॉमहॉक मिसाइलें दागी थीं। इसके साथ ही B-2 स्टेल्थ बॉम्बर ने नतांज पर दो GBU-57 बम गिराए। लेकिन सवाल वही है—क्या ईरान ने अमेरिका और इजरायल को मात दे दी?