राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) द्वारा आयोजित स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2024 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि परीक्षा पूर्व निर्धारित संशोधित कार्यक्रम के अनुसार ही आयोजित होगी और इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। इस फैसले से जहां परीक्षा की तैयारियों में जुटे लाखों उम्मीदवारों को राहत मिली है, वहीं उन अभ्यर्थियों के लिए यह झटका है जो परीक्षा की तारीखों में बदलाव की मांग कर रहे थे।
UGC-NET से तिथि टकराव पर उठाया गया था मामला
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ — न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन और एन. कोटेश्वर सिंह — के समक्ष सुनवाई के लिए आया था। अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से 17 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर यह आग्रह किया था कि RPSC द्वारा 25 से 29 जून के बीच आयोजित की जाने वाली फर्स्ट ग्रेड परीक्षा की तिथियां यूजीसी-नेट परीक्षा से टकरा रही हैं, इसलिए इन्हें पुनर्निर्धारित किया जाए।
RPSC की ओर से संशोधन और सरकार की दलीलें
सुप्रीम कोर्ट ने 23 जून को आयोग से जवाब मांगा था, जिसके बाद RPSC ने तीन विषयों की तिथियों में संशोधन कर एक प्रेस नोट जारी किया और यूजीसी-नेट से तिथि टकराव को दूर कर दिया। मंगलवार को हुई सुनवाई में राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा, भारत सरकार की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक डेव और राज्य की अतिरिक्त महाधिवक्ता संस्कृति पाठक ने अदालत में पक्ष रखते हुए बताया कि संशोधित कार्यक्रम के बाद अब कोई तिथि विवाद नहीं बचा है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को किया खारिज
सरकार के तर्कों और आयोग की ओर से त्वरित कार्रवाई को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज कर दिया और स्पष्ट कहा कि अब परीक्षा अपने निर्धारित कार्यक्रम पर ही आयोजित होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी शिकायतों का निस्तारण हो चुका है और परीक्षा में किसी प्रकार की देरी का कोई औचित्य नहीं है।
भर्ती में 2,200 से अधिक पद, 6 लाख से अधिक उम्मीदवार
गौरतलब है कि यह भर्ती परीक्षा राज्य में स्कूल व्याख्याताओं के 2,200 से अधिक रिक्त पदों को भरने के लिए आयोजित की जा रही है। परीक्षा में 6 लाख से अधिक अभ्यर्थी भाग लेंगे और यह परीक्षा राज्य के 21 शहरों में 904 केंद्रों पर आयोजित की जाएगी। आयोग ने यह भी तर्क दिया कि यदि परीक्षा की तिथियों में फेरबदल किया जाता है तो इससे न केवल यह परीक्षा बल्कि RPSC की आगामी 35 से अधिक चयन प्रक्रियाएं भी प्रभावित होंगी।
यूजीसी-नेट साल में दो बार होती है
सरकार की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि यूजीसी-नेट परीक्षा वर्ष में दो बार आयोजित होती है, और जिन अभ्यर्थियों की परीक्षा टकरा रही है, वे दिसंबर 2025 में भी इस परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। इसलिए RPSC परीक्षा में बदलाव का कोई तर्कसंगत कारण नहीं बनता।
फैसला: संशोधित कार्यक्रम ही रहेगा लागू
अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि आयोग द्वारा 23 जून को जारी किया गया संशोधित कार्यक्रम ही लागू रहेगा और परीक्षा पूर्व निर्धारित तिथियों पर ही होगी। यह फैसला लंबे समय से परीक्षा की प्रतीक्षा कर रहे उम्मीदवारों के लिए राहत की खबर है। वहीं, जिन अभ्यर्थियों ने तारीख टकराव के आधार पर परीक्षा टालने की मांग की थी, उन्हें अब यह परीक्षा निर्धारित समय पर ही देनी होगी।