जयपुर। अस्पतालों में उपचार के दौरान रोगियों की मौत के बाद चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ उग्र प्रदर्शन और गिरफ्तारी की मांग के मामले में अब राज्य सरकार ने नई गाइड लाइन जारी की है। सरकार ने इससे संबंधित एसओपी तैयार की है। अब चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बावजूद संबंधित थाने को चिकित्सकों की गिरफ्तारी के लिए एसपी स्तर के अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी। गृह विभाग की एसओपी के मुताबिक कई बार रोगी के परिजन रोगी के इलाज के दौरान आधी अधूरी सूचनाओं के आधार पर चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करवा देते हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सकों को मानसिक प्रताड़ना होती है, जिससे उनकी कार्य क्षमता और प्रतिष्ठा पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार की ओर से जारी एसओपी में कहा गया है कि यदि किसी चिकित्सक की इलाज में घोर चिकित्सकीय लापरवाही पाई जाती है और उसे गिरफ्तार किया जाना जरूरी है तो संबंधित थाने को पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपायुक्त से मंजूरी लेनी जरूरी होगी।
एसओपी में यह भी कहा गया है कि संबंधित थाने को समय-समय पर अस्पताल में नियमित रूप से पेट्रोलिंग कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी करनी होगी। यदि किसी अस्पताल में चिकित्सकों के खिलाफ कोई हिंसा हुई है तो अस्पताल के नोडल अधिकारी की ओर से सूचना देने के 6 घंटे के भीतर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। कोई अस्पताल पुलिस थाने के अंतर्गत नहीं आता है तो वहां पर जीरो एफआईआर करके आगे भेजा जाएगा।
पोस्टमार्टम की होगी वीडियोग्राफी
एसीएस आनंदकुमार के मुताबिक अगर इलाज के दौरान चिकित्सकों की उपेक्षा के चलते मरीज की मौत हुई है और उसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज हुई है तो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 अधिनियम की धारा 194 के तहत ऐसी स्थिति में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी आवश्यक रूप से करवाई जाए।
नहीं कर सकेंगे कार्य बहिष्कार
एसओपी मुताबिक किसी भी अप्रिय घटना के घटित होने पर या अपनी किसी मांग को मनवाने के लिए चिकित्साकर्मी कार्य का बहिष्कार नहीं करेंगे और कानून के मुताबिक अपनी बात और मांग सरकार के समक्ष रखेंगे।