जयपुर। राजस्थान की राजधानी के पॉश इलाके वैशाली नगर में कांग्रेस नेता संदीप चौधरी के आवास पर हुई डकैती के मामले में जयपुर पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। इस हाई-प्रोफाइल वारदात में शामिल घरेलू नौकर भरत बिष्ट और उसके साथी हरि बहादुर धामी को नेपाल बॉर्डर के पास से गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि, डकैती में शामिल भरत की पत्नी काजल और दो अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं। लूटी गई नकदी और गहनों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।
घरेलू सहायक ही निकला साजिशकर्ता
पुलिस जांच में सामने आया है कि मूल रूप से नेपाल निवासी भरत बिष्ट (28) ने ही इस डकैती की योजना बनाई थी। वह 28 अप्रैल से कांग्रेस नेता के घर में घरेलू सहायक के रूप में काम कर रहा था। वारदात को अंजाम देने के लिए उसने नेपाल से अपने साथी हरि बहादुर धामी (29) को बुलाया। योजना में भरत की पत्नी काजल भी शामिल थी।
चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर की वारदात
14 मई की दोपहर को घर में नेता की मां कृष्णा चौधरी, पत्नी ममता चौधरी, बेटा राजदीप और बेटी राजश्री मौजूद थे। इसी दौरान गिरोह ने चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर कृष्णा और ममता को बेहोश कर दिया और नकदी व गहने समेटकर फरार हो गए।
तकनीकी जांच से मिली अहम लीड
डीसीपी वेस्ट अमित कुमार के अनुसार, एडिशनल डीसीपी आलोक सिंघल की अगुवाई में बनी स्पेशल टीमों ने सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल सर्विलांस के ज़रिए आरोपियों की पहचान की। फुटेज में हरि बहादुर को घर में प्रवेश करते हुए देखा गया, जिससे पुलिस को अहम सुराग मिला।
इसके बाद पुलिस टीमों को बिहार, यूपी, उत्तराखंड और नेपाल बॉर्डर की ओर रवाना किया गया। 16 मई को उत्तराखंड के रास्ते नेपाल भागने की कोशिश कर रहे भरत और हरि बहादुर को दबोच लिया गया। फिलहाल दोनों से गहन पूछताछ की जा रही है।
प्लेसमेंट एजेंसी पर भी सवाल
एक चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई है कि भरत और काजल को एक प्लेसमेंट एजेंसी के ज़रिए नौकरी पर रखा गया था। अब पुलिस इस एजेंसी की भी जांच कर रही है कि क्या उसने इनकी पृष्ठभूमि की पूरी जांच की थी या नहीं।
अब तक की स्थिति:
• गिरफ्तार: भरत बिष्ट, हरि बहादुर धामी
• फरार: काजल (भरत की पत्नी) और दो अन्य
• लूटा गया सामान: नकदी और गहने, अब तक बरामद नहीं
• जांच का आधार: सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल ट्रैकिंग, तकनीकी विश्लेषण
• पुलिस कार्रवाई: नेपाल बॉर्डर सहित कई राज्यों में छापेमारी
सवालों के घेरे में सुरक्षा और भरोसा
यह घटना जयपुर जैसे बड़े शहरों में घरेलू नौकरों की पृष्ठभूमि की जांच को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। प्लेसमेंट एजेंसियों की भूमिका और उनकी सत्यापन प्रक्रिया पर भी अब सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस नेता संदीप चौधरी का परिवार अब इस चूक की भारी कीमत चुका रहा है।
पुलिस की प्राथमिकता फिलहाल फरार आरोपियों की गिरफ्तारी और लूटी गई संपत्ति की बरामदगी है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि क्या यह गिरोह पहले भी इस तरह की वारदातों में शामिल रहा है।