भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान पर अब कानूनी कार्रवाई की मांग उठने लगी है। सुप्रीम कोर्ट के एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड ने अटॉर्नी जनरल (AG) को पत्र लिखकर ‘अवमानना की कार्यवाही’ शुरू करने के लिए अनुमति मांगी है। कानून के अनुसार, कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट, 1971 की धारा 15(b) के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही तभी शुरू की जा सकती है जब अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल इसकी अनुमति दें।
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार (19 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस के खिलाफ विवादित बयान दिया था, जिसके बाद उन पर एक्शन की मांग उठने लगी है। सांसद के इस बयान के बाद कई विपक्षी नेताओं ने भी बीजेपी को घेरा है। हालांकि, बीजेपी ने इस बयान से दूरी बना ली है और कहा है कि यह सांसद का निजी विचार है।
निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिया विवादास्पद बयान
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने बीते दिन सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया था, जिसके बाद से विपक्षी पार्टियों ने उन्हें जमकर निशाना बनाया है। निशिकांत दुबे ने कहा कि देश में बढ़ रहे धार्मिक तनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि अदालत अपनी सीमाएं लांघ रही है और अगर हर मुद्दे का हल सुप्रीम कोर्ट ही करेगा तो फिर संसद और विधानसभाओं का कोई औचित्य नहीं बचता। उन्होंने चीफ जस्टिस पर भी सीधे तौर पर आरोप लगाया।
चीफ जस्टिस को लेकर कही यह बात
निशिकांत दुबे ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर आरोप लगाते हुए कहा, "देश में जितने भी गृह युद्ध जैसी स्थितियां बन रही हैं, उनके लिए सिर्फ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।"
बीजेपी ने किया किनारा
सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर विवादास्पद बयान देने वाले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को अब उनकी ही पार्टी से समर्थन नहीं मिला है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि पार्टी इन बयानों से सहमत नहीं है। जेपी नड्डा ने कहा, "सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा ने न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश को लेकर जो भी कहा है, वह उनके निजी विचार हैं। भारतीय जनता पार्टी का इन बयानों से कोई संबंध नहीं है।"