बच्चों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं ऑनलाइन गेम्स खेलने की लत, जानें नुकसान
By: Ankur Thu, 27 July 2023 10:24:41
आजकल की बढ़ती तकनिकी दुनिया में ऑनलाइन वीडियो गेम का चलन भी बहुत बढ़ गया हैं। बच्चे हो या बड़े सभी इसका लुत्फ उठाना पसंद करते हैं। वीडियो गेम मनोरंजन का एक आसान विकल्प है। आजकल बच्चे दोस्तों और मैदान में खेलने की जगह अपने मोबाइल फोन में वीडियो गेम खेलना पसंद करते है। ऐसे में यह एक लत बन जाती हैं और बच्चे अपने कई घंटे इसमें बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को यह पता होना चाहिए कि बच्चे के ऑनलाइन गेम्स खेलने की लत उनके शारीरिक, मानसिक और व्यक्तित्व विकास को प्रभावित कर रही हैं। आज यहां हम आपको इसी से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं।
स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव
जो लोग, विशेष तौर पर बच्चे ऑनलाइन गेम खेलने के लिए पूरा समय स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं, वो अपना ज्यादातर समय घर के अंदर ही बिताते हैं और बाहर खेलने नहीं जाते। इस आदत को लगातार फॉलो करने के कारण बच्चों में कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे पोस्चर खराब होना, विजन लॉस और यहां तक कि ब्रेन डैमेज होने का भी खतरा रहता है। इसके अलावा छोटी उम्र में वीडियो गेम की लत के कारण बच्चे समय पर खाना नहीं खाते है। कई बच्चे तो वीडियो गेम खेलते हुए खाने की कोशिश करते है। ऐसे में उनका काफी नुकसान हो सकता है। इससे बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ सकते है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और पाचन तंत्र प्रभवित हो सकता है क्योंकि गेम खेलने के चक्कर में वह खाने को अच्छे से चबाने की जगह निगलना शुरू कर देते है।
आक्रामक व्यवहार
आमतौर पर बच्चे जो देखते हैं, वहीं खुद के व्यवहार में भी ढाल सकते हैं। इसलिए माता-पिता को कम उम्र के बच्चों और किशोरों को हिंसक वीडियो गेम खेलने के लिए नहीं देना चाहिए। वजह यह है कि हिंसक वीडियो गेम खेलने के कारण बच्चों में आक्रामक व्यवहार का जोखिम बढ़ सकता है। इसकी पुष्टि कई रिसर्च में की जा चुकी हैं और सामान्य तौर पर भी यह देखने को मिलता हैं।
तनाव और अनिद्रा
तमाम बच्चे रात को देर तक ऑनलाइन गेम्स खेलते है। ऐसे में उनकी आंखों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। आंखों में ड्राईनेस और दर्द होने लगता है और सिरदर्द शुरु हो जाता है। फिर रात को उन्हें अच्छे से नींद नहीं आती है और सुबह उठने में भी परेशानी होती है। पूरी दिनचर्या प्रभावित होने के कारण उनका मन किसी काम में नहीं लगता है।
दिमागी रूप से कमजोर होना
कई बार बच्चे घंटों बिना पलकें झपकाएं देर तक वीडियो गेम्स खेलते रहते है। ऐसे में उनकी मस्तिष्क की कार्य क्षमता और एकाग्रता प्रभावित होती है। साथ ही वह सिर में हमेशा दर्द, बेचैनी और भारीपन का एहसास हो सकता है। ऐसे बच्चे स्कूल की पढ़ाई पर भी अधिक ध्यान नहीं दे पाते है क्योंकि पढ़ाई के दौरान भी उनके दिमाग में काफी कुछ चल रहा होता है और वह उस वीडियो गेम से निकाल नहीं पाते है।
सोशल आइसोलेशन
कई बार बच्चे ऑनलाइन गेमिंग से इतना लीन हो जाते हैं कि वो अपने परिवार और पेरेंट्स से दूर होते चले जाते हैं। इस कारण वो खुद को सोशली बेहद आइसोलेट कर लेते हैं और पेरेंट्स के कितना ही कोशिश करने के बाद भी उनके लिए सोशलाइज करना मुश्किल होता है। इसके अलावा, बच्चे घरेलू कामों, आउटडोर गेम्स और सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने में दिलचस्पी भी खत्म हो जाती है।
गलत मूल्यों या बातों को दिखाना
वीडियो गेम के कंटेंट तरह-तरह के हो सकते हैं। इनका उद्देश्य अक्सर मनोरंजन के लिए होता है। इस वजह से इसमें गलत तथ्यों को भी दिखाया जा सकता है। इस लिहाज से अगर वीडियो गेम में जोखिम भरे व्यवहार दिखाए जाते हैं, जैसे धूम्रपान करना, लापरवाही के साथ वाहन चलाना, तो ऐसे गेम से बच्चे को दूर रखें। वजह यह है कि ऐसे नकारात्मक प्रभाव वाले गेम खेलने के कारण बच्चे इन आदतों को खुद में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं, जो उनके व्यवहार को आक्रामक बनाने की भी एक वजह हो सकती है।
उदासी और अकेलापन
वीडियो गेम की लत के कारण बच्चे अकेलापन का अनुभव करने लगते है क्योंकि अपने दोस्तों और परिवार के साथ बात करने की जगह वह वीडियो गेम खेलना पसंद करते है। इससे उनके दिमाग में उदासी और अकेलेपन का अनुभव होता है। वह खुद को सबसे अलग-थलग करने से वह भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते है। किसी से कुछ कह नहीं पाते है।
इस तरह से बच्चों की लत छुड़ाएं
- बच्चों से एकाएक फोन लेने की कोशिश न करें बल्कि उनका स्क्रीन टाइम कम करने की कोशिश करें।
- बच्चों से प्यारे से बात करें और अधिक से अधिक घर के कामों जैसे बागवानी और किचन में उनके साथ काम करें।
- उन्हें दोस्तों के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और खुद भी इसका हिस्सा बनने की कोशिश करें।
- बच्चों के मोबाइल टाइम को पहले 3 घंटे करने का प्रयास करें। फिर दो घंटे करने का प्रयास करें।
- हो सके तो मोबाइल पर अच्छी चीजें और पढ़ने-लिखने के बारे में बात करें। इससे वह गेम्स की बजाय दूसरी चीजों को लेकर प्रोत्साहित होंगे।
- बच्चों से अधिक बात करने की कोशिश करें और घर में फोन का इस्तेमाल बेहद कम करें।