परवरिश के दौरान बेटो को जरूर सिखाएं ये बातें, जिंदगी का सफर बनेगा आसान

By: Ankur Tue, 06 Sept 2022 2:10:45

परवरिश के दौरान बेटो को जरूर सिखाएं ये बातें, जिंदगी का सफर बनेगा आसान

सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि बच्चों को अच्छी परवरिश दी जाए ताकि वे अपने जीवन में एक साफ छवि बनाते हुए सफलता की ओर बढ़ते हुए अपनी मंजिल को पाए। हांलाकि, आज के समय में बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं हैं क्योंकि कई चीजें हैं जो उन्हें रास्ता भटकने पर मजबूर कर सकती हैं। खासतौर से बेटियों के मुकाबले बेटों की परवरिश करना ज्यादा मुश्किल होता है। आमतौर पर लड़कियों को कई बातें सिखाई जाती हैं लेकिन जरूरी हैं कि ये ही बातें लड़कों को भी सिखाई जाए और अच्छे से समझाई जाए। आइये जानते हैं बेटों को सफल और नेक इंसान बनाने के लिए क्या सीख देनी जरूरी है।

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लड़का-लड़की एक समान

समाज में एक अच्छा माहौल बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि लड़के लड़कियों को खुद के बराबर समझें। उन्हें बचपन से ही ये सीख दें कि हर पहलू और क्षेत्र में लड़का-लड़की एक बराबर होते हैं। उसे बताएं कि पति और पिता के रूप में कैसे उसे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना है और अपने जीवन में अपनी पत्नी को बराबर का भागीदार समझना है।

संवेदनशील बनना सिखाएं

लड़कों को मजबूत या यूं कहें कि सख्त दिल बनने की सलाह तो अक्सर दी जाती है लेकिन उन्हें संवेदनशील बनने की सलाह कभी नहीं दी जाती। लेकिन, भावनाओं को समझना और लोगों को उनके कमजोर और मुश्किल समय में इमोशनली सपोर्ट करने के लिहाज से लड़कों को भी उतना ही सवंदेनशील बनना सिखाएं जैसा लड़कियों से उम्मीद की जाती है। उन्हें सिखाएं कि वह दूसरों को सम्मान दें और दूसरों की खूबियों को पहचानने और अपने आस-पास के लोगों के लिए भावनात्मक स्तर पर सपोर्टिव बने रहें।

लड़के भी रो सकते हैं

लड़कों को बचपन से ही घर में ये बोला जाता है कि लड़के रोते नहीं हैं। ऐसा कह कर उन्हें अंदर से मजबूत बनाने की कोशिश की जाती है। लेकिन सच बात तो यह है कि हर इंसान अपना दुख और तकलीफ व्यक्त कर सकता है, फिर चाहे वो लड़के ही क्यों न हों। रोने से मन हल्का हो जाता है और दिल की तकलीफ भी कम होती है, इसलिए कभी भी अपने बेटों से ये न कहें कि लड़कों को रोना नहीं चाहिए। उन्हें समझाएं कि कभी-कभार रो लेने में भी कुछ बुरा नहीं।

बेसिक कूकिंग

खाना खाने का शौक सभी को होता है लेकिन, लड़कियां जहां बचपन से ही किचन के कामों में इंट्रेस्ट लेने लगती हैं वहीं लड़के इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते। लेकिन, जब लड़के पढ़ाई या नौकरी के सिलसिले में घर से दूर जाते हैं तो उन्हें अक्सर घर के खाने की याद सताती है क्योंकि वे ना तो कुछ पकाना जानते हैं और ना ही उन्हें पता होता है कि किचन में किस तरह काम किया जाता है। ऐसे में कैंटीन और रेस्टोरेंट्स से खाना मंगाकर खाना ही उनके लिए इकलौता ऑप्शन बचता है। अपनी हेल्थ को संभालने और दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय लड़कों को बचपन से ही किचन के छोटे-छोटे काम सिखाएं।

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अपने लिए लड़ना

बच्चों को अपनी सोच और निर्णयों के लिए निडर और मजबूत बनाना चाहिए। उसे डरने की बजाय चुनौतियों से लड़ने की ताकत देनी चाहिए। जीवनभर उसके रास्ते में कई मुश्किलें आएंगीं इसलिए बचपन से ही उसे मुश्किलों से लड़ी सिखाएं। बच्चों के लिए सब कुछ खुद करके न दें बल्कि उसे अपना रास्ता खुद बनाने दें। जब कोई अपने सपनों या अपनी बात के लिए लड़ना नहीं सीखता, तो उस इंसान के लिए खुश रहना बहुत मुश्किल हो जाता है।

सच बोलना सिखाएं


किसी भी व्यक्ति के लिए सच बोलना और झूठ से बचना महत्वपूर्ण है। बच्चों को यह सीख बचपन से दें और उन्हें बिना डरे सच बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चे जब झूठ बोलते हैं तो इससे उन्हें आगे चलकर भी झूठ बोलना, बहाने बनाना और मुश्किल स्थितियों को सामना करने से बचना बेहतर लगने लगेगा और वे सच नहीं बोलेंगे। इससे उनके व्यवहार में झूठ बोलने की आदत हमेशा से शामिल हो सकती है जिससे उनके लिए लोगों से सम्मान पाना मुश्किल हो सकता है और वह इज्जत नहीं कमा पाते।

महिलाओं को आदर देना सिखाएं


मां का दर्जा सबसे ऊंचा है और इसीलिए वह सम्मान के काबिल है लेकिन मां के अलावा बाकी सभी महिलाओं का भी सम्मान करना जरूरी है और यह बात बेटों को छोटी उम्र से सिखाना चाहिए। बेटों को समझाएं कि अपनी टीचर, पास-पड़ोस की महिलाएं, रिश्तेदार और साथ पढ़नेवाली लड़कियों का सम्मान करने वाले लड़के ही खुद भी सम्मान पा सकेंगे। तभी वह बड़े होने के बाद प्रोफेशनल स्पेस और पर्सनल लाइफ में महिलाओं के साथ सम्मानपूर्ण रवैये और हेल्दी कॉम्पिटिशन जैसे शब्दों का अर्थ समझ पाएंगे और अपने साथ-साथ उन महिलाओं को भी आगे बढ़ने की दिशा में मदद कर सकेगा।

सपनों के पीछे भागना सिखाएं

अपने बेटे को जीवन में कोई लक्ष्य बनाने और उसे पाने के लिए प्रेरित करें। उसे बताएं कि लाइफ में क्या जरूरी है और क्या नहीं। उसे बताएं कि सपनों को पाने के लिए किए गए प्रयास दिल को कितनी खुशी देते हैं। बच्चे को अपने सपनों के पीछे भागना और उसे पाने के लिए भरसक कोशिशें करना सिखाएं और मोटिवेट करें। उन्हें समझाएं कि काम को पूरा करने में अगर किसी तरह की मुश्किल आती है तो उससे घबराएं नहीं और तब तक कोशिश करें जब तक कि वे सफल ना हों। शॉर्टकट अपनाने, बहाने बनाने और अपना काम दूसरों पर थोपने से बचने जैसी आदतें लड़कों को जरूर सिखाएं।

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