उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, जहां प्रकृति की खूबसूरती के साथ कई प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित हैं। इन मंदिरों की अपनी अलग-अलग मान्यताएँ हैं, लेकिन अल्मोड़ा जिले में स्थित गोलू देवता मंदिर कुछ खास है। यह मंदिर न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध है, जहां भक्त अपनी मुरादों के बजाय शिकायतें लेकर आते हैं। आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में।
गोलू देवता मंदिर की मान्यता
गोलू देवता को भगवान शिव और भगवान कृष्ण के अवतार गौर भैरव के रूप में पूजा जाता है। भक्त यहां अपनी समस्याएँ लिखित में कागज या स्टांप पेपर पर दर्ज कर मंदिर में चढ़ाते हैं। मान्यता है कि गोलू देवता सच्चे मन से की गई शिकायतों और प्रार्थनाओं का संज्ञान लेते हैं और न्याय प्रदान करते हैं। मंदिर में चिट्ठियों के अलावा घंटियां चढ़ाने की भी परंपरा है, और यहां हजारों घंटियां लटकी हुई दिखाई देती हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि भक्तों की प्रार्थनाएं पूरी हुई हैं।
मंदिर में चढ़ाई जाती हैं शिकायतें
इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भक्त अपनी शिकायतें लिखकर लाते हैं और न्याय की उम्मीद करते हैं। यह प्रक्रिया एक परंपरा का रूप ले चुकी है, और दूर-दराज से लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए यहां आते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष भीड़ होती है, जब भक्त गोलू देवता से आशीर्वाद लेने आते हैं।
गोलू देवता मंदिर कैसे पहुंचे?
गोलू देवता मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले नैनीताल पहुँचना सबसे उचित विकल्प है। नैनीताल तक काठगोदाम रेलवे स्टेशन से ट्रेन के माध्यम से पहुंचा जा सकता है, जो कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। नैनीताल से मंदिर तक जाने के लिए बस, टैक्सी या निजी वाहन का उपयोग किया जा सकता है।
अगर आप दिल्ली से मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं, तो आनंद विहार से सीधी बस लेकर अल्मोड़ा पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, दिल्ली से हल्द्वानी तक बस या ट्रेन से जाकर, फिर वहां से अल्मोड़ा के लिए टैक्सी या बस ली जा सकती है।
गोलू देवता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और न्याय का प्रतीक भी है। अगर आप कभी उत्तराखंड जाएं, तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करें और इसकी अनोखी परंपरा का अनुभव लें।