केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम है इतिहास और संस्कृति का संगम, यहां ले इन दर्शनीय स्थलों का आनंद
By: Ankur Thu, 23 Feb 2023 4:18:37
केरल राज्य को अपने सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता हैं जहां की राजधानी तिरूवनंतपुरम अर्थात त्रिवेंद्रम को भी अपने प्राचीन इतिहास और संस्कृति के संगम के लिए पहचाना जाता हैं। अविश्वसनीय संग्रहालयों, खूबसूरत महलों, पवित्र मंदिरों और मंत्रमुग्ध करने वाले समुद्र तटों सहित कई प्रकार के दर्शनीय स्थलों के चलते तिरूवनंतपुरम एक आकर्षक पर्यटन स्थल बना हुआ हैं। यहां अरब सागर की मचलती लहरे, लंबे-लंबे नारियल के पेड, हरी भरी घाटियां, मनोहर दृश्य प्रस्तुत करते है। त्रिवेंद्रम काफी विकसित शहर है जहां पर घूमने लायक एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल मौजूद है। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
पद्मनाभस्वामी मंदिर
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल की राजधानी में स्थित एक बेहद ही सुंदर और प्रसिद्ध मंदिर है। यह सोने की परत चढ़ा हुआ एक मंदिर है, जोकि 108 दिव्य देशमों में से एक है। यह मंदिर भगवान पद्मनाभ को समर्पित है। यह मंदिर भारत के उन मंदिरों में से एक है, जहां केवल हिंदू धर्म के लोगों को ही प्रवेश दिया जाता है। यह मंदिर वैष्णववाद के धर्म में पूजा के प्रमुख केंद्र हैं और दिव्य देसम महान भगवान विष्णु के पवित्र निवास भी हैं। यह मंदिर केरल के काफी प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर यात्रियों द्वारा केरल की यात्रा के दौरान जरूर घूमा जाता है।
कुथिरमालिका पैलेस संग्रहालय
कुथिरमालिका पैलेस संग्रहालय पारंपरिक त्रावणकोर शैली की वास्तुकला में कारीगरी का दुर्लभ नमूना भी उत्तम लकड़ी के नक्काशीयों के लिए जाना जाता है। जिसे महाराजा स्वाथी थिरुनल बलराम वर्मा – त्रावणकोर के राजा, जो एक महान कवि, संगीतकार, सामाजिक सुधारक और राजनेता थे।, द्वारा बनाया गया था। महल संग्रहालय में शाही परिवार के चित्रों और विभिन्न अनमोल संग्रह प्रदर्शित किए जाते हैं। और यह श्री पद्मनाभा स्वामी मंदिर के पास स्थित है। तिरूवनंपुरम के पर्यटन स्थल पर आने वाले पर्यटक यहां जरूर आते है।
पूवर द्वीप
पूवर एक सुंदर द्वीप है जो तिरुवनंतपुरम से 27 किलोमीटर दूर स्थित है। पूवर द्वीप प्राकृतिक रूप से काफी सुंदर है। द्वीप अपने प्राचीन आकर्षण के लिए जाना जाता है। शांत द्वीप अरब सागर और नेयार नदी के बीच स्थित है। यह एक ऐसी अद्भुत जगह है जहां पृथ्वी, समुद्र और नदी का मिलन होता है और यही चीज यहां का प्राकृतिक आश्चर्य है। पूवर मुख्य रूप से मछली पकड़ने के समुदाय द्वारा बसा हुआ है और स्थानीय लोगों की लुभावनी संस्कृति और परंपराओं का पता लगाने के लिए यह एक आदर्श स्थान है।
पझवंगड़ी गणपति मंदिर
दक्षिण के सबसे लोकप्रिय गणेश मंदिरों में से एक होने के कारण, पझवांगड़ी गणपति मंदिर स्थानीय लोगों और भगवान गणेश के उत्साही भक्तों के दिल में एक विशेष स्थान रखता है। इस मंदिर की भक्तों के बीच बहुत मान्यता है। भक्तों का कहना है कि भगवान गणेश अपनी मनोकामना पूरी करते हैं और अपने भक्तों की कठोर समस्याओं को दूर करते हैं। त्रिवेंद्रम में यह भव्य गणपति मंदिर मुख्य रूप से दो कारणों से प्रसिद्ध है- इसका असाधारण जेट-काला रंग, भारत में मंदिरों के लिए एक दुर्लभ रंग और इसकी अनूठी गणेश मूर्ति। इस मंदिर में बैठने वाली मूर्ति की स्थिति अन्य से अलग है। यहाँ, भगवान गणेश आराम से अपने दाहिने घुटने को मोड़कर उनके नीचे लेट जाते हैं। त्रिवेंद्रम जाने पर आपको इस मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए।
कनककुन्नू पैलेस
कनककुन्नू पैलेस त्रिवेंद्रम में घूमने लायक जगह में से एक है। इस पैलेस का निर्माण त्रावणकोर राजा के शासन के दौरान नेपियर संग्रहालय के पास में किया गया था। यह महल सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करता है। इस पैलेस में दक्षिण भारत के लोक कला, लोक नृत्य जैसी परंपराओं का आयोजन किया जाता है। यह जगह सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए सबसे अच्छा जगह है।
विहंजजाम गुफा मंदिर
विहंजजाम गुफा मंदिर 18वीं शताब्दी में बना हुआ है। इसकी विशेषता यह है कि इसे एक बडी चट्टान को काटकर बनाया गया है। जिसकी बाहरी दिवारो पर हिन्दू देवी-देवताओ की मूर्तियाँ चट्टान को काटकर उस पर बडी सुंदरता के साथ उकेरी गयी है।
नेपियर संग्रहालय
मूर्तियों, चित्रों और संगीत वाद्ययंत्रों के बेहतरीन संग्रह के लिए प्रसिद्ध नेपियर संग्रहालय शहर के प्रमुख आकर्षण में से एक है। शहर के केंद्र में स्थित, यह एक वास्तुशिल्प चमत्कार भी है जो लगभग 150 साल पहले स्थापित किया गया था। नेपियर संग्रहालय वयस्कों और बच्चों के देखने के लिए एक बहुत अच्छी जगह है। भारत में वास्तुकला की इंडो-सारासेनिक शैलियों पर आधारित संग्रहालय, भारत में सबसे अधिक देखी जाने वाली कला और प्राकृतिक इतिहास संग्रहालयों में से एक है।
कारिकाकोम चामुंडी देवी मंदिर
कारिकाकोम चामुंडी देवी मंदिर त्रिवेंद्रम के प्राचीन मंदिर में से एक है। यह मंदिर 600 साल से अधिक पुराना है। यह मंदिर श्री चामुंडा देवी को समर्पित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां देवी चामुंडी के तीनों रूपों- महा चामुंडी, रक्ता चामुंडी और बाला चामुंडी की पूजा होती है। इस मंदिर के आसपास काफी घने और हरे भरे वातावरण मौजूद हैं, जो कि इस मंदिर को और भी सुशोभित करते हैं। इस मंदिर से काफी इतिहास भी जुड़े हुए हैं। इस मंदिर में मनाया जाने वाला पोंगल महोत्सव वहां के स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
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