जयपुर। जयपुर के सदर थाना क्षेत्र में एक युवक की थाने में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद मामला गरमा गया है। मृतक मनीष पांडेय को वाहन चोरी के शक में हिरासत में लिया गया था, जहां उसने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली। घटना के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं, और परिजन सहित ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि तथा कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास धरने पर बैठ गए हैं। इस मामले में थानाधिकारी सहित पांच पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है और न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
हिरासत में संदिग्ध मौत: आत्महत्या या दहशत?
मूल रूप से उत्तर प्रदेश निवासी मनीष पांडेय जयपुर के मांग्यावास क्षेत्र में किराए के मकान में पत्नी और दो बच्चों के साथ रह रहा था। पुलिस ने उसे बाइक चोरी के शक में सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पकड़ा था। शनिवार को थाने में ही उसने एक कमरे में कथित रूप से आत्महत्या कर ली। पुलिस उसे बनीपार्क के सैटेलाइट अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। हालांकि, परिजनों और समाजिक संगठनों का कहना है कि यह मामला आत्महत्या का नहीं बल्कि पुलिस प्रताड़ना या हत्या का हो सकता है।
धरने पर बैठे परिजन और समाजिक नेता
घटना के बाद सवाई मानसिंह अस्पताल की मोर्चरी के बाहर मृतक के परिजन, पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और ब्राह्मण समाज के नेता धरने पर बैठ गए। उन्होंने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यदि मनीष ने आत्महत्या की है तो भी पुलिस की प्रताड़ना और सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है, और यदि हत्या की गई है, तो यह कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल है।
खाचरियावास का आरोप: "सरकार और पुलिस दोनों जिम्मेदार"
पूर्व मंत्री खाचरियावास ने सवाल किया कि आखिर पुलिस ने मनीष को हवालात में रखने की बजाय कमरे में क्यों बैठाया? उन्होंने दावा किया कि या तो मनीष ने डर के मारे खुदकुशी की या फिर उसकी हत्या की गई, दोनों ही स्थिति में जिम्मेदार पुलिस और राज्य सरकार है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मृतक के परिवार को न्याय नहीं मिला, तो वे सड़क पर उतरकर संघर्ष करेंगे।
सरकार की प्रतिक्रिया और जांच के आदेश
राजस्थान पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सदर थानाधिकारी देवेंद्र वर्मा सहित पांच पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है। साथ ही, इस पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री और पुलिस कमिश्नर स्तर पर भी मामले की मॉनिटरिंग की जा रही है। परिजनों की मांग है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती और सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाएगा।
चिंताएं और मांगें: पारदर्शिता हो और पीड़ित परिवार को मिले सहायता
ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों और खाचरियावास ने मांग की कि मृतक के परिजनों को मुआवजा दिया जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं पुलिस की कार्यशैली और सिस्टम की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
जयपुर के सदर थाने में युवक की मौत ने एक बार फिर पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों को लेकर बहस छेड़ दी है। क्या यह आत्महत्या थी या हत्या — इस सवाल का जवाब न्यायिक जांच से ही मिलेगा। लेकिन तब तक यह घटना राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है और पारदर्शिता ही विश्वास की कुंजी है।