अपनी धार्मिकता के लिए जाना जाता हैं उत्तराखंड, जाएं तो जरूर करें इन मंदिरों के दर्शन

By: Ankur Sat, 20 May 2023 11:52:37

अपनी धार्मिकता के लिए जाना जाता हैं उत्तराखंड, जाएं तो जरूर करें इन मंदिरों के दर्शन

उत्तराखंड के नाम का जिक्र आते ही इसकी वादियों की खूबसूरती आंखों के सामने आ जाती है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता से सभी का दिल हरने वाले उत्तराखंड में कई हिल स्टेशन मौजूद हैं जो पर्यटन को बढ़ावा देते हैं। लेकिन इसी के साथ ही उत्तराखंड को ‘देव भूमि’ कहा जाता है क्योंकि यहां के हर शहर में आपको किसी एक देव या देवी का मशहूर मंदिर मिलेगा। यहां कई ऐसे मंदिर हैं, जो पूरे विश्व में जाने जाते हैं। उत्तराखंड अपनी दिव्यता के लिए जाना जाता है, जो आध्यात्मिक टूरिज्म के सार को एक सही मायने में समेटे हुए हैं। आज हम आपको उत्तराखंड के प्रमुख मंदिरों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। इन मंदिरों को लेकर लोगों की ऐसी आस्था है कि यहां से कभी भी कोई खाली हाथ नहीं लौटता है। उत्तराखंड जाएं तो इन मंदिरों के दर्शन जरूर करें। आइये जानते हैं इनके बारे में...

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

श्री केदारनाथ धाम

उत्तराखंड के चार धामों में से एक भगवान शिव का यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो पंच केदार मंदिरों में एक प्रमुख स्थान रखता है। बर्फीली चोटियों से ढका यह देवस्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता। यह भारत का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है, जहां का शिवलिंग बाकी मंदिरों की तरह नहीं है। ऐसा माना जाता है कि यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व भगवान शिव ने केदार को भी दिया है। केदारनाथ धाम हर तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड। यहां आपको बाबा केदारनाथ बैल के पीठ की आकृति में दिखाई देंगे। यहां सर्दी के मौसम में जमकर बर्फबारी होती है, इसलिए यह मंदिर भी सिर्फ 6 महीनों के लिए ही खुलता है और 6 महीने तक बंद रहता है। मंदिर तक जाने के गौरीकुंड से चढ़ाई शुरू की जाती है, जो करीब 19 किमी के आसपास है। पौराणिक कथाओं की मानें तो इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

नैना देवी मंदिर

नैना देवी मंदिर नैनीताल में स्थित है और इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि महाराज दक्ष के द्वारा यज्ञ में भगवान शिव को अंमत्रित ना करने की वजह से मां सती काफी गुस्सा हो गई थी और यज्ञ की आग में कूद गईं। भगवान शिव माता सती का शव अपने कंधे पर लेकर पूरे विश्व का चक्कर लगाने लगे। नैनीताल में माता सती के नैन गिरे इसलिए यहां पर नैना देवी का शक्तिपीठ का निर्माण किया गया। यहां आपको बता दें कि उन्हीं के नाम से नैनीताल में एक नैना झील भी है।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

बद्रीनाथ मंदिर

भगवान बद्रीनाथ का धाम चमोली जिले में स्थित है। भगवान विष्णु के बद्रीनाथ रूप की यहां पूजा की जाती है। यह हिंदुओं के चार धामों में से एक है। बता दें कि बद्रीनाथ मंदिर में तीन भाग है गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां एक बार जाने से इंसान को मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर भी साल के 6 महीने तक ही खुला रहता है और बर्फबारी के चलते बाकी के 6 महीनों तक बंद रहता है। अलकनंदा नदी के बाएं तट पर स्थित यह नर और नारायण नाम के दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है। यह मंदिर पंच-बदरी में से एक है।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

बालेश्वर मंदिर

चंपावत में बालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इतिहास बताता है कि बालेश्वर मंदिर का निर्माण चंद राजवंश के शुरुआती राजाओं ने करवाया था। मंदिर की छत पर की गई जटिल पत्थर की नक्काशी के साथ दक्षिण भारतीय वास्तुकला देखी जा सकती है। इस पत्थर के मंदिर को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय विरासत स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा वर्ष 1952 से इसका रखरखाव किया जा रहा है।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

श्री तुंगनाथ मंदिर

उत्तराखंड के द्रप्रयाग जिले में स्थित श्री तुंगनाथ मंदिर देवभूमि के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है, जो 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कहा जाता है कि यहां भगवान शिव की भुजाएं प्रकट हुई थीं। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को चार किमी की ट्रेकिंग करनी पड़ती है, जो काफी रोमांचक होता है। यह मंदिर भी भारी बर्फबारी के कारण 6 महीनों के लिए बंद रहता है। चंद्रशिला ट्रेक का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है, जो करीब 2 किमी दूर स्थित है।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

लाखमंडल

स्थानीय रूप से 'लक्षेश्वर' के रूप में प्रसिद्ध, लाखमंडल देहरादून जिले के जौनसार-बावर क्षेत्र में 12 वीं-13 वीं शताब्दी के बीच निर्मित एक हिंदू मंदिर परिसर है। मंदिर वास्तुकला की नागर शैली का दावा करता है और भगवान शिव को समर्पित है। यह प्राचीन हिंदू मंदिर शक्ति पंथ के बीच काफी लोकप्रिय है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा लाखमंडल परिसर में प्राचीन काल के कई कलात्मक अवशेषों को देखा गया है।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

त्रियुगी नारायण मंदिर

त्रियुगी नारायण मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर इसलिए अधिक खास है क्योंकि इसी स्थान पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसी मंदिर में भगवान शिव और मां पार्वती ने सात फेरे लिए थे और तब से लेकर आज तक ये अग्नि धुनी जल रही है। तीन युगों बीत जाने के बाद भी इस मंदिर में जलती धुनी आज तक बुझी नहीं। इसीलिए इस मंदिर को त्रियुगी मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, उन्होंने ही शिव-पार्वती का विवाह करवाया था।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

महासू देवता मंदिर

9वीं शताब्दी में निर्मित, महादू देवता मंदिर भगवान महासू को समर्पित है। हनोल में तुइनी-मोरी रोड पर स्थित, महासू देवता मंदिर का निर्माण हुना स्थापत्य शैली में किया गया है। सदियों से आप इस मंदिर में ने मिश्रित शैली को देख सकते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने महासू देवता मंदिर को देहरादून सर्कल के प्राचीन मंदिर की सूची में शामिल किया है।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

गोलू देवता मंदिर

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित गोलू देवता का मंदिर है, जो यहां के ईष्ट देवता भी कहलाते हैं। यहां के लोग गोलू देवता को न्याय का देवता भी कहते हैं। उनका मानना है कि भगवान सभी के साथ न्याय करते हैं, जिसका प्रमाण इस मंदिर में देखा जा सकता है। इस मंदिर में हर तरफ आपको लेटर (चिट्ठियां) दिखाई देंगी, जिन भक्तों की समस्याएं होती हैं वे अपनी समस्या एक चिट्ठी में लिखकर यहां छोड़ जाते हैं, जिससे वे अपनी इस समस्या से छुटकारा भी पा लेते हैं। इसलिए इस मंदिर को चिट्ठियों वाला मंदिर भी कहा जाता है।

famous temples in uttarakhand,temples of uttarakhand,spiritual destinations in uttarakhand,sacred temples in uttarakhand,uttarakhand pilgrimage sites,holy places in uttarakhand,popular temples of uttarakhand,temples in the land of uttarakhand,uttarakhand temple tourism,discovering the temples of uttarakhand

नीम करौली बाबा मंदिर

नैनीताल से 38 किमी दूर भवाली के रास्ते में कैंची धाम पड़ता है। बाबा नीब करौरी ने इस स्थान पर 1964 में आश्रम बनाया था। इन्हींर बाबा नीब करौरी को हनुमान जी का धरती पर दूसरा रूप कहा जाता है। वैसे बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। अपनी स्थापना के बाद से अब तक भव्य मंदिर का रूप ले चुके कैंची धाम में मां दुर्गा, वैष्णो देवी, हनुमान जी और राधा कृष्ण की मूर्तियां हैं। मंदिर में आज भी बाबा की निजी वस्तुएं जैसे गद्दी, कंबल, छड़ी आज भी वैसे ही सुरक्षित हैं जैसी उनके जीवन में थीं। कैंची धाम पर श्रद्धा रखने वाले भक्त देश ही नहीं विदेश में भी हैं। जैसे विदेशी भक्त और जाने-माने लेखक रिच्रर्ड एलपर्ट जिन्होंाने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है जिसमें बाबा के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन किया है। हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स भी बाबा की परम भक्तो बताई जाती हैं।

ये भी पढ़े :

# राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में शामिल है अलवर स्थित मूसी महारानी की छतरी, लगती है पर्यटकों की भीड़

# डिलीवरी के बाद इन समस्याओं से दो-चार होती हैं महिलाएँ, व्यायाम करने से होता है फायदा

# धर्मशाला का दर्शनीय स्थल है भागसूनाग, शिव को समर्पित है एक ऐतिहासिक मंदिर

# स्वास्थ्य के लिए गर्मियों के दिनों में फायदेमंद होता है आंवला जूस, जानिये इसके फायदों के बारे में

# पेट फूलने की समस्या से राहत दिलाएगी ये 10 चीजें, जानें और इनका इस्तेमाल करें

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com