कैंसर के सफल इलाज के बाद भी जरूरी हैं एहतियात बरतना, रखें इन बातों का ध्यान
By: Ankur Sat, 13 Aug 2022 3:29:05
कैंसर का नाम सुनते ही मन में एक अजीब सा भय उठने लगता हैं क्योंकि इस गंभीर और जानलेवा बीमारी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कैंसर की इस बीमारी में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। हांलाकि समय पर इसका उचित इलाज लिया जाए तो इसे हराया जा सकता हैं। लेकिन कैंसर के सफल इलाज के बाद भी एहतियात बरतना जरूरी होता हैं ताकि सेहत के साथ कोई खिलवाड़ ना हो। कैंसर से ठीक हो चुके लोगों में कैंसर होने की संभावना दोबारा बनी रहती है। ऐसे में जरूरी हैं कि अपनी जीवनशैली को स्वस्थ और व्यवस्थित बनाया जाए। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैंसर के सफल इलाज के बाद भी आपको किन बातों का ध्यान रखना हैं।
हेल्दी डाइट
हेल्दी डाइट कैंसर से ठीक हो चुके लोगों में कैंसर की पुनरावृत्ति, हृदय रोग और डायबिटीज से बचाव में मदद करती है। अधिक वजन कैंसर के जोखिम को बढ़़ाता है। इसलिए आपको अपने वजन को नियंत्रण में रखना जरूरी होता है। अपनी डाइट में विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल, साबुत अनाज, लो फैट डेयरी प्रोडक्ट शामिल करें। हर रोज़ कम से कम 2-3 कप सब्जियां और फल खाने की कोशिश करें। रिफाइंड यानी सफेद मैदा या शक्कर की जगह पर मोटे अनाज वाले खाद्य पदार्थ खाएं। अधिक वसा वाले मीट को सीमित करें। हॉट डॉग, डेली मीट और बेकन जैसे परिष्कृत मीट का सेवन कम से कम करें। अगर आप शराब पीते हैं, तो हर दिन 1 पेग से ज्यादा शराब न पिएं। अधिक तेल वाले, भूने हुए, नमकीन या मसालेदार भोजन को नजरअंदाज करें और संतुलित एवं हल्का आहार लें।
नियमित जांच करवाते रहें
इलाज खत्म हो जाने के कई सालों बाद तक आपको डॉक्टर से जांच कराने की जरूरत बनी रहेगी। इन जांचों में शारीरिक जांचें और खून की जांचें शामिल हो सकती हैं जिनके आधार पर कैंसर की वापसी के बारे में पता चलने में मदद मिल सकती है। छाती के एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई (MRIs) की जरूरत भी पड़ सकती है। अगर किसी कैंसर पीड़ित की सर्जरी होती है तो डॉक्टर्स निश्चित तौर पर कैंसर सेल्स को हटाने का पूरा प्रयास करते हैं, बावजूद कुछ सेल्स बच जाते हैं। ऑपरेशन के पहले ये सेल्स टूटकर बिखर जाते हैं और शरीर में रह जाते हैं। बाद में ये बढ़ते हैं। ऐसे में कीमोथेरपी, रेडियोथेरपी, हॉर्मोन थेरपी या बॉयोलॉजिकल थेरपी जारी रखना चाहिए ताकि शरीर के भीतर बचे सेल्स नष्ट हो सकें।
फिजिकल फिटनेस
शारीरिक रूप से सक्रिय रहना भी कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में सुधार होता है। इससे वजन भी नियंत्रण में रहता है। इसलिए कैंसर से ठीक हुए लोगों को रोजाना एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। खुद को फिजिकली एक्टिव रखना चाहिए। एक्टिव रहने के लिए तैराकी, एरोबिक्स, रस्सी कूदना, दौड़ना, फुटबॉल, बास्केटबॉल जैसे खेल खेलकर भी आप खुद को फिजिकली फिट रख सकते हैं। कैंसर के इलाज के बाद अक्सर जरूरत से ज्यादा थकान महसूस होने लगती है। कैंसर पीड़ितों को योग और मेडिटेशन के साथ नियमित व्यायाम करना चाहिए।
वजन पर रखें नियंत्रण
कैंसर उपचार के बाद मरीजों में वजन घटने या बढ़ने की समस्या हो सकती है, लेकिन इसकी बहुत अधिक चिंता नहीं करनी चाहिए। हालांकि, कैंसर के मरीजों में वजन घटना बेहद आम बात है, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं में मोटापा एक बड़ी समस्या है। लिहाजा वजन घटने को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन 450 कैलरी तक आहार लेना जरूरी है। हल्का भोजन करें और कैंसर उपचार कराने से पहले प्रोटीन से भरपूर भोजन करने से परहेज करें, ताकि प्रतिकूलता से बचाव में मदद मिल सके। कैंसर उपचार के बाद मरीजों को पर्याप्त पानी पीना चाहिए और कार्डियो ऐक्टिविटीज करनी चाहिए।
शराब और धूम्रपान से दूर रहें
वैसे तो सभी लोगों को शराब या धूम्रपान से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। लेकिन कैंसर से ठीक हुए लोगों को इनका सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। शराब और धूम्रपान कई गंभीर बीमारियों को न्यौता दे सकता है। साथ ही यह कैंसर की पुनरावृत्ति का कारण भी बन सकता है। इसलिए कैंसर के इलाज के बाद कभी भी धूम्रपान या शराब नहीं लेना चाहिए। शराब का सेवन हृदय रोग, डायबिटीज के खतरे को भी बढ़ा सकता है। सिगरेट फेफड़ों के कैंसर का जोखिम कारक होता है।
तनाव से बचें
कैंसर के इलाज के बाद आपको तनाव मुक्त रहना जरूरी है। तनाव या चिंता कई सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। ऐसे में कैंसर पुनरावृत्ति को रोकने के लिए तनाव बिल्कुल न लें। आपको अधिक तनाव, अधिक सोचने और हताशा से बचना चाहिए, ये आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। तनाव मुक्त रहने के लिए ध्यान लगाएं और योग का अभ्यास करें। अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ अच्छा समय बिताएं। एक दिन में 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। इसके साथ ही म्यूजिक थेरपी के माध्यम से भी उन्हें बेहतर महसूस हो सकता है और वे ऊर्जावान महसूस करते हैं।
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