भारतीय क्रिकेट में एक नए अध्याय की शुरुआत हो चुकी है। शुभमन गिल अब टेस्ट टीम के कप्तान बन चुके हैं और इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट से उन्होंने कमान संभाली है। लेकिन कप्तानी के पहले ही मैच में गिल के एक फैसले ने क्रिकेट प्रशंसकों और जानकारों को चौंका दिया है। उनके फैसले को लेकर यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह अपनी कप्तानी में फेवरिटिज़्म (पक्षपात) की राह पर चल पड़े हैं? क्योंकि उन्होंने एक ऐसे खिलाड़ी को डेब्यू का मौका दिया जो उनके साथ आईपीएल टीम में खेलता है, जबकि अनुभवी और पहले से इंग्लैंड में मौजूद बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वरन को एक बार फिर नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
साई सुदर्शन को मिला डेब्यू, लेकिन क्यों चूके ईश्वरन?
भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज़ की शुरुआत से पहले टॉस के समय ही साफ हो गया था कि साई सुदर्शन को टेस्ट डेब्यू मिल चुका है। उन्हें भारतीय टेस्ट कैप दी गई और टीम में नंबर 3 पर खेलने का मौका भी मिला। हालांकि ओपनिंग नहीं मिली, लेकिन उनकी मौजूदगी ने चर्चा जरूर खड़ी कर दी।
वहीं दूसरी ओर, अभिमन्यु ईश्वरन, जो कि इंडिया ए के अनुभवी कप्तान हैं और इंग्लैंड के हालातों में पहले से खेल रहे थे, एक बार फिर डेब्यू से वंचित रह गए। इससे पहले भी वे ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम में शामिल थे लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं दिया गया था।
गुजरात टाइटंस की दोस्ती भारी पड़ी?
गौर करने वाली बात ये है कि साई सुदर्शन हाल ही में समाप्त हुए आईपीएल सीजन में गुजरात टाइटंस के लिए खेले थे, जिसके कप्तान शुभमन गिल ही थे। ऐसे में यह आरोप लग रहे हैं कि शुभमन गिल ने अपनी कप्तानी के पहले ही मैच में निजी संबंधों के आधार पर चयन को प्रभावित किया है।
यह सही है कि साई सुदर्शन ने आईपीएल में शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन टेस्ट क्रिकेट आईपीएल से बिल्कुल अलग प्रारूप है, जहां अनुभव, तकनीक और परिस्थितियों की समझ ज्यादा मायने रखती है। इसी बिंदु पर अभिमन्यु ईश्वरन साई से आगे नजर आते हैं, क्योंकि वे इंग्लैंड में पहले से खेल रहे थे और इंग्लिश कंडीशंस में उनका घरेलू अनुभव कहीं ज्यादा है।
पहले भी छिन चुका है डेब्यू का मौका
अभिमन्यु ईश्वरन के साथ यह पहली बार नहीं हुआ है। जब टीम इंडिया 2020–21 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी, तब भी उन्हें टीम में शामिल तो किया गया, लेकिन प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिला। अब एक बार फिर वही कहानी दोहराई गई है। हर बार उनका नाम आता है, लेकिन मौका किसी और को मिल जाता है — और इस बार मौका उस खिलाड़ी को मिला, जो कप्तान का करीबी माना जा रहा है।
क्या शुभमन गिल की कप्तानी पर उठने लगे हैं सवाल?
टीम इंडिया को हर स्तर पर निष्पक्ष चयन की आदत रही है। लेकिन अगर कप्तानी की शुरुआत ही ऐसे चयन विवाद से हो, तो आगे जाकर यह टीम की एकता और प्रदर्शन दोनों पर असर डाल सकता है। कप्तान का काम होता है कि वह टीम में सर्वश्रेष्ठ और सबसे उपयुक्त खिलाड़ियों को मौका दे, ना कि निजी समीकरणों के आधार पर फैसले ले।
आखिरकार प्रदर्शन से ही होगा मूल्यांकन
हालांकि अब गेंद साई सुदर्शन के पाले में है। अगर वह अपने प्रदर्शन से सबका मुंह बंद कर दें, तो यह चयन सही साबित हो सकता है। लेकिन अगर वह असफल होते हैं, तो यह फैसला शुभमन गिल की कप्तानी के शुरुआती दाग के रूप में देखा जाएगा।
क्रिकेट फैंस के मन में सवाल उठना लाज़मी है —
क्या टेस्ट क्रिकेट में चयन अब आईपीएल की दोस्तियों से तय होगा?
या
क्या अनुभवी घरेलू खिलाड़ियों की मेहनत यूं ही नजरअंदाज़ होती रहेगी?
कप्तानी के शुरुआती दौर में ही शुभमन गिल एक ऐसे विवाद में घिर गए हैं, जो उनके नेतृत्व की दिशा और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो टीम इंडिया को नुकसान हो सकता है — और सबसे पहले, उसका नुकसान होगा उन खिलाड़ियों को, जो सालों से मौके के इंतजार में मेहनत करते आ रहे हैं।