आज हैं शारदीय नवरात्रि की महा अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और कन्या पूजन विधि

By: Ankur Mon, 03 Oct 2022 06:53:31

आज हैं शारदीय नवरात्रि की महा अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और कन्या पूजन विधि

आश्विन मास की नवरात्रि जारी हैं जिसे शारदीय नवरात्रि के तौर पर जाना जाता हैं। आज आश्विन मास की शुक्लपक्ष की अष्टमी हैं जिसे महा अष्टमी और दुर्गाष्टमी कहा जाता हैं। नवरात्रि के आठवें दिन मातारानी के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निजात मिलती है और धन-वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन माँ दुर्गा के भोग के लिये हलवा, चने, खीर, पूड़ी, आदि बनायी जाती हैं। माँ की ज्योत जगाकर विधि-विधान से माँ दुर्गा की पूजा की जाती हैं। दुर्गाष्टमी पर कन्या पूजन करने से जातक को माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती हैं। कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा दी जाती हैं। आज के दिन कन्या पूजन करने से मां दुर्गा जल्द प्रसन्न होती है और व्यक्ति पर अपनी कृपा बरसाती है।

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दुर्गा अष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 02 अक्टूबर 2022 को शाम 06 बजकर 47 मिनट से शुरू
अष्टमी तिथि समाप्त - 03 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर
शोभन योग - 2 अक्टूबर शाम 5 बजकर 14 मिनट से 3 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 21 मिनट तक
संधि पूजा का मुहूर्त - 3 अक्टूबर शाम 4 बजकर 14 मिनट से 5 बजकर 2 मिनट तक
राहुकाल - सुबह 7 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 57 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक

दुर्गाष्टमी पूजा का महत्व


- जीवन के सभी कष्टों का नाश होता हैं।
- कार्यों में सफलता मिलती हैं।
- माँ अपने भक्तों की सभी मनोकामानाओं को पूर्ण करती हैं।
- पुत्र की कामना रखने वाले मनुष्य को नवरात्रि में ब्राह्मण को भोजन कराना चाहियें। ऐसा करने से उसकी पुत्र प्राप्ति की कामना पूर्ण होती हैं।
- आरोग्य की प्राप्ति होती हैं।
- शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती हैं। सभी प्रकार के भयों से साधक मुक्त हो जाता हैं।
- आयु, यश, धन, समृद्धि में वृद्धि होती हैं।
- साधक इस लोक के सभी सुखों को भोगकर मृत्यु के उपरांत सद्गति को प्राप्त करता हैं।

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कन्या पूजन की विधि

- दुर्गाष्टमी के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान पर जहाँ पर आपने घटस्थापना (यदि की हो तो) की वहाँ पर एक चौकी लगायें। उस पर लाल कपड़ा बिछायें।
- चौकी पर माँ की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। और साथ में गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर भी रखें। चौक बनायें। चौक पर दीपक जलायें।
- फिर गणेश जी को और माता जी को जल के छीटें लगायें, रोली-चावल से तिलक करें, मोली चढ़ायें। माँ को चुनरी चढ़ायें।
- फूल माला चढ़ायें। फल अर्पित करें। हलवा, चने, खीर, पूरी आदि का भोग माँ को अर्पित करें।
- माँ दुर्गा को पान सुपारी भेंट करें।
- उसमें दक्षिणा अवश्य रखें।
- दीपक और कपूर जलाकर माँ दुर्गा की आरती करें।
- फिर नौ कन्याओं और एक लौकड़े के पैर धोये, मोली बांधे, तिलक करें और उन्हे भोजन करायें।
- भोजन कराने के बाद उन्हे दक्षिणा और उपहार देंकर प्रसन्न करें।
- फिर उनके चरण छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- तत्पश्चात्‌ ब्राह्मण को भोजन करायें और उसे दक्षिणा देकर संतुष्ट करें।
- ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करें।

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