महाकुंभ में कोतवाल की भूमिका और अखाड़ों की अनुशासन व्यवस्था

By: Sandeep Gupta Thu, 09 Jan 2025 09:50:58

महाकुंभ में कोतवाल की भूमिका और अखाड़ों की अनुशासन व्यवस्था

महाकुंभ में अखाड़ों की परंपरागत व्यवस्था का एक अहम हिस्सा "कोतवाल" होते हैं। जैसे ही आप किसी भी अखाड़े के शिविर में प्रवेश करते हैं, आपकी पहली भेंट कोतवाल से होती है। कोतवाल हाथ में चांदी की मुठिया वाली छड़ी लेकर चलते हैं, जिसके कारण इन्हें "छड़ीदार" भी कहा जाता है। शिविर की सुरक्षा और अखाड़े में अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी इन्हीं पर होती है।

अनुशासनहीनता पर मिलती है सजा

कोतवाल को अखाड़े के नियम तोड़ने या अनुशासनहीनता के मामलों में सजा देने का अधिकार प्राप्त होता है। सजा के रूप में वे गोलालाठी का उपयोग करते हैं, जिसमें नियम तोड़ने वाले व्यक्ति के हाथ-पैर बांधकर पिटाई की जाती है। इसके अलावा, कोतवाल गंगा में 108 बार डुबकी लगाने, गुरु कुटिया या रसोई की सेवा करने, मुर्गा बनने, या खुले आसमान के नीचे कपड़े उतारकर खड़े रहने जैसी सजा भी दे सकते हैं। महाकुंभ के दौरान अखाड़ों में जाजिम न्याय व्यवस्था लागू हो जाती है। अखाड़े की धर्म ध्वजा जिन चार तनियों पर टिकी होती है, उन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। इन तनियों के नीचे जाजिम (दरी) बिछाई जाती है, जहां अखाड़े की न्याय व्यवस्था संचालित होती है। अनुशासनहीनता से जुड़े सभी मामलों का निपटारा इसी जाजिम पर किया जाता है।

गुरु कुटिया के पास कोतवाली

हर अखाड़े में गुरु कुटिया के पास कोतवाली स्थापित की जाती है। किसी अखाड़े में दो तो किसी में चार कोतवाल नियुक्त किए जाते हैं। कोतवाल की नियुक्ति की अवधि अखाड़े के नियमों पर निर्भर करती है। कहीं इन्हें हर सप्ताह बदला जाता है, तो कहीं पूरे मेले की अवधि के लिए तैनात किया जाता है। कुछ अखाड़ों में कोतवाल का कार्यकाल तीन साल तक भी होता है। महाकुंभ के दूसरे शाही स्नान के बाद कोतवाल का चयन किया जाता है। जिन कोतवाल का कार्यकाल अच्छा होता है, उन्हें सर्वसम्मति से थानापति या अखाड़े का महंत भी बनाया जा सकता है।

कोतवाल का महत्व


अखाड़े की अनुशासन और सुरक्षा व्यवस्था में कोतवाल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे अखाड़े के नियम-कायदों का पालन करवाने के साथ-साथ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं और साधुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

रवींद्र पुरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, के अनुसार: "कोतवाल अखाड़े की सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये चांदी की मुठिया वाली छड़ी रखते हैं और अनुशासनहीनता पर सजा देने का अधिकार भी रखते हैं।"

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