ईरान-इजरायल जंग भले ही औपचारिक रूप से थम चुकी हो, लेकिन जमीनी हकीकत और दोनों देशों के तीखे बयानों से साफ जाहिर होता है कि अंदर ही अंदर बदले की चिंगारी अब भी सुलग रही है। कुछ ही दिन पहले ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने एक भावुक बयान में कहा था कि अमेरिका ने ईरान पर हमला कर अपने ही मुंह पर तमाचा मारा है। जवाब में इज़रायल का रुख और भी सख्त दिखाई दिया, जब उसकी सेना ने बताया कि 12 दिनों के भीतर उसने ईरान को भारी जख्म दिए हैं, जिनकी टीस लंबे समय तक महसूस की जाएगी।
अब इज़रायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने अपने बड़े सैन्य अभियान 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' की विस्तृत जानकारी साझा करते हुए चौंकाने वाला दावा किया है: ईरान के भीतर 900 से ज़्यादा ठिकानों पर हमले किए गए। इनमें वो संवेदनशील ठिकाने भी शामिल थे जो ईरान की सुरक्षा प्रणाली की रीढ़ माने जाते थे।
IDF के अनुसार, इस भीषण ऑपरेशन में ईरान के 11 परमाणु वैज्ञानिकों और तीन टॉप कमांडरों सहित कुल 30 सीनियर सुरक्षा अधिकारियों को निशाना बनाया गया। यह वो नाम हैं जो दशकों से ईरान की सैन्य और परमाणु ताकत के केंद्र में थे। इससे पहले खबरें आई थीं कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के शीर्ष अधिकारी और ईरानी वायुसेना के प्रमुख भी मारे जा चुके हैं।
मिसाइल उत्पादन ठप, ईरान की सैन्य रीढ़ टूटी
इज़रायली सेना ने दावा किया कि इस ऑपरेशन में 200 मिसाइल लॉन्चर तबाह कर दिए गए, जो ईरान के कुल लॉन्चर का लगभग आधा हिस्सा थे। साथ ही, ईरान के विमान और मिसाइल उत्पादन स्थलों को भी बर्बाद कर दिया गया, जिससे हजारों मिसाइलों का उत्पादन बीच में ही रुक गया। इसका असर केवल रक्षा प्रणाली पर नहीं, बल्कि ईरान की रणनीतिक क्षमता पर भी पड़ेगा।
खामेनेई को निशाना बनाने की योजना नाकाम
गुरुवार को इजरायल के रक्षा मंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान अगर उन्हें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाने का मौका मिलता, तो वह चूकते नहीं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसा कोई अवसर हाथ नहीं लग सका।
अमेरिका की एंट्री और जंग का अंतिम अध्याय
जंग के अंतिम दिनों में अमेरिका ने निर्णायक दखल देते हुए 22 जून को ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर 30,000 पाउंड के बंकर बस्टर बम गिराए। यह हमला इतना शक्तिशाली था कि कुछ ही घंटों में पूरी दुनिया की निगाहें इस ओर टिक गईं। जवाब में, ईरान ने भी अपने गुस्से का इज़हार किया और कतर और इराक में मौजूद अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें दागीं।