होलिका दहन को होली पर्व की आधिकारिक शुरुआत माना जाता है, जो रंगों के त्योहार से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025 को होगा। यह पर्व हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हालांकि, इस दिन से जुड़े कुछ नियम भी हैं जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है। आइए जानते हैं कि किन लोगों को होलिका दहन देखने से बचना चाहिए और इसके पीछे क्या धार्मिक कारण हैं।
किन लोगों को नहीं देखना चाहिए होलिका दहन?
होलिका दहन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन कुछ विशेष व्यक्तियों को इसे देखने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाएं, नवविवाहित महिलाएं (जिनकी यह पहली होली है) और छोटे बच्चे होलिका दहन नहीं देखें, क्योंकि इससे उनके जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इस परंपरा के पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन राक्षसी होलिका का अंत हुआ था, जब वह अग्नि में जल गई थी। इस पवित्र अग्नि में नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की मान्यता है। ऐसे में नवविवाहित महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को होलिका दहन देखने से बचने की सलाह दी जाती है ताकि वे किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित न हों।
होलिका दहन 2025 का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च 2025 को प्रातः 10:35 बजे से प्रारंभ होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: 13 मार्च की रात 10:45 बजे से 01:30 बजे तक रहेगा।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक कथाओं पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अपने विवेक और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।