यूपी लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के पीछे दलित वोट बैंक में गठबंधन की सेंधमारी : RSS
By: Rajesh Bhagtani Sat, 29 June 2024 3:26:23
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने कहा है कि कांग्रेस-समाजवादी पार्टी गठबंधन के कारण भाजपा के दलित और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक में सेंध लग गई है, जिसके कारण उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
इस मामले पर आरएसएस द्वारा आयोजित बैठक में चर्चा की गई, जिसमें आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले भी शामिल हुए। बैठक में भाजपा के चुनावी प्रदर्शन की समीक्षा की गई। भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में विफल रही और उसने अपने सहयोगियों की मदद से सरकार बनाई। बैठक में भगवा पार्टी के चुनाव प्रदर्शन के कई पहलुओं पर चर्चा की गई।
आरएसएस ने कहा कि उसका मानना है कि भाजपा की सीटों में कमी का कारण बेरोजगारी और पेपर लीक को लेकर युवाओं में बढ़ता गुस्सा है। संघ ने अब रोजगार जैसे मुद्दों पर काम करने और दलितों व पिछड़े वर्गों तक पहुंच बनाने का निर्णय लिया है।
आरएसएस ने कहा, "यूपी में भाजपा की हार का मुख्य कारण सपा-कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारत गठबंधन द्वारा दलितों और पिछड़े वर्गों के वोट बैंक में सेंधमारी माना जा रहा है। संघ और भाजपा का मानना है कि यह वोट बैंक बिखर गया और सपा के पक्ष में चला गया। इस संदर्भ में संघ अब दलितों और पिछड़े वर्गों के बीच पैठ बढ़ाने की रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अब इन समुदायों पर अधिक कार्यक्रम और अभ्यास केंद्रित किए जा रहे हैं।"
चुनाव नतीजों के बाद जून के मध्य में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पांच दिनों के लिए गोरखपुर में थे। इस दौरान उन्होंने मौजूदा राजनीतिक हालात और सामाजिक सरोकारों पर चर्चा की थी। उसके बाद 26 जून को लखनऊ में पूर्वी क्षेत्र के पदाधिकारियों की चार दिवसीय समीक्षा बैठक शुरू हुई।
सूत्रों के मुताबिक संघ अब पहली बार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की योजना पर काम करेगा। आरएसएस पदाधिकारी रोजगार सृजन को लेकर व्यापारियों और उद्योगपतियों से चर्चा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक कुटीर उद्योगों पर ज्यादा जोर रहेगा।
दूसरी ओर, आरएसएस स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए भी काम करेगा। संघ की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि 'एक जिला एक उत्पाद' (ओडीओपी) योजना को बढ़ावा दिया जाएगा।
आरएसएस ने कहा कि दलितों और पिछड़े वर्गों के युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ने के लिए काम किया जाएगा। संघ के जिला प्रचारकों के साथ एक अलग बैठक में यह निर्णय लिया गया कि संगठन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ाएगा।
इसके लिए सभी जिलों में विद्यार्थी शाखाएं स्थापित की जाएंगी। साथ ही संपर्क अभियान भी तेज किया जाएगा। इसके लिए संघ नए प्रचारकों को प्रशिक्षण देगा।