कोलकाता। पश्चिम बंगाल के चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए दोषपूर्ण प्रक्रिया में चयनित शिक्षकों को दिसंबर 2025 तक कार्यरत रहने की अनुमति दे दी है। हालाँकि यह राहत पूरी तरह अस्थायी है और न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यह फ़ैसला छात्रों के हित में विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिए:
• राज्य सरकार को 31 मई 2025 तक नई शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन निकालना होगा।
• पूरी भर्ती प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक हर हाल में पूरी की जानी चाहिए।
• तय समयसीमा का उल्लंघन होने पर कोर्ट कड़ी कार्रवाई करेगा।
किन्हें नहीं मिली राहत?
जहाँ शिक्षकों को फ़िलहाल अपनी सेवाएं जारी रखने की अनुमति मिली है, वहीं ग्रुप C और D के कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं दी गई है।
क्या है पूरा मामला?
2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) द्वारा आयोजित परीक्षा में 23 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे, जिनमें से करीब 25,000 शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती की गई थी। लेकिन बाद में इस प्रक्रिया पर गंभीर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगे।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
3 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को “धोखाधड़ी और हेरफेर से ग्रस्त” करार देते हुए सभी 25,000 से अधिक नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। हालाँकि राज्य सरकार की अपील पर कोर्ट ने छात्रों की पढ़ाई को देखते हुए कुछ शिक्षकों को सीमित समय के लिए कार्यरत रहने की अनुमति दी है।
क्यों दी गई अस्थायी राहत?
राज्य सरकार ने कोर्ट से अपील की थी कि स्कूलों में पढ़ाई पर असर न पड़े, इसलिए 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए इन शिक्षकों को अस्थायी रूप से बनाए रखा जाए। कोर्ट ने इसी को ध्यान में रखते हुए यह राहत दी है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह फैसला स्थायी नहीं है।