सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार, हमने किसान नेता का अनशन तोड़ने का आदेश नहीं दिया
By: Rajesh Bhagtani Thu, 02 Jan 2025 8:23:53
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब सरकार को फटकार लगाई कि वह 26 नवंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को अस्पताल पहुंचाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है और यह गलत "धारणा" बना रही है कि अदालत दल्लेवाल को अपना अनिश्चितकालीन अनशन खत्म करवाने की कोशिश कर रही है। पंजाब सरकार से स्पष्ट रूप से नाराज न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे मीडिया में जानबूझकर ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि आपके राज्य सरकार के अधिकारी यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि अदालत दल्लेवाल को अनशन खत्म करने के लिए मना रही है। शायद इसीलिए वह अनिच्छुक हैं।"
अपना रुख स्पष्ट करते हुए अदालत ने कहा कि उसने पंजाब सरकार को कभी भी दल्लेवाल का अनशन तुड़वाने का निर्देश नहीं दिया था।
अदालत ने कहा कि इसके बजाय उसने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह दल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित करे, जहां वह चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच के साथ अपना विरोध प्रदर्शन जारी रख सके, ताकि उसकी जान को कोई खतरा न हो।
अदालत ने कहा, "यही हमारी एकमात्र चिंता है। एक किसान नेता के रूप में उनका जीवन कीमती है। वह किसी भी राजनीतिक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं और वह केवल किसानों के हित की देखभाल कर रहे हैं।"
पंजाब सरकार के कानूनी सलाहकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य ने दल्लेवाल या उनके सहयोगियों से संपर्क करने का कभी कोई प्रयास नहीं किया। जस्टिस सूर्यकांत ने पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह से कहा, "एक बार भी आपके अधिकारी या आपके मंत्री वहां नहीं गए।"
उन्होंने कहा, "आपका रवैया यह है कि कोई समझौता नहीं होना चाहिए। यही पूरी समस्या है।" जिस पर सिंह ने जवाब दिया, "राज्य पूरी तरह से समझौते के पक्ष में है।"
सुनवाई को 6 जनवरी तक टालते हुए अदालत ने पंजाब सरकार से अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा, जिसमें दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती होने के लिए मनाने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों का विवरण हो।
पीठ ने पंजाब सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह जनता को बताए कि अदालत चाहती है कि दल्लेवाल अपना अनशन जारी रखें, लेकिन "चिकित्सा सहायता के तहत।"
पिछली सुनवाई में पंजाब सरकार ने दोहराया था कि दल्लेवाल केवल तभी चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के लिए तैयार हैं, जब केंद्र उनके साथ बातचीत करने के लिए तैयार हो।
शीर्ष अदालत पंजाब के शीर्ष अधिकारियों, अर्थात् मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ दल्लेवाल के लिए चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के अदालती आदेश का पालन नहीं करने के लिए दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान पीठ ने दल्लेवाल द्वारा दायर एक नई याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें चल रहे किसान आंदोलन से संबंधित व्यापक मुद्दों को उठाते हुए अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
पीठ ने निर्देश दिया कि दल्लेवाल की याचिका की एक प्रति केंद्र सरकार को दी जाए। अदालत ने केंद्र सरकार से पूरे मुद्दे पर एक बयान जारी करने को भी कहा और पूछा, "केंद्र इस मामले से जुड़ी हर बात पर बयान क्यों नहीं दे रहा है?"
इस सवाल का जवाब देते हुए तुषार मेहता ने कहा, "अभी हम एक व्यक्ति (जगजीत सिंह दल्लेवाल) के स्वास्थ्य तक ही सीमित हैं और केंद्र सरकार हर किसान के बारे में चिंतित है।"