देशभर में आपातकाल की 50वीं बरसी पर भाजपा ‘काला दिवस’ मना रही है। इस खास मौके पर प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी (Diya Kumari) बुधवार को सीकर जाते समय रींगस में रुकीं। यहां खंडेला विधायक सुभाष वीर के नेतृत्व में सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका जोशीले अंदाज़ में स्वागत किया। इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आज का दिन हिंदुस्तान की लोकतांत्रिक आत्मा को झकझोर देने वाला दिन है, जिसे कोई भी भारतीय भूल नहीं सकता। उस काले दिन लोकतंत्र का गला घोंटा गया था, और हम उसे याद कर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।
'केंद्र से पैसा लाए हैं', खाटू में दिखेगा नयाविकास
जब उनसे बाबा श्याम की नगरी खाटूश्यामजी के विकास को लेकर सवाल किया गया, तो उनका चेहरा गर्व से चमक उठा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत खाटू में जल्द ही भव्य कॉरिडोर का कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम दिल्ली से पैसे लेकर आए हैं और राज्य सरकार भी पूरा सहयोग दे रही है। जल्द ही बाबा श्याम की पावन धरती पर नई ऊर्जा का संचार होगा, जिससे लाखों श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिलेंगी और क्षेत्र में पर्यटन को नई रफ्तार मिलेगी।”
कॉरिडोर होगा अद्भुत और आधुनिक
दिया कुमारी ने जानकारी दी कि यह कॉरिडोर अयोध्या और काशी विश्वनाथ की तर्ज पर बनेगा। इसमें डिजिटल म्यूजियम, कैफेटेरिया, फूड कोर्ट, लाइट एंड साउंड शो, कथा पंडाल और विशाल पार्किंग जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि “इस योजना से बाबा श्याम की यात्रा भक्तों के लिए पहले से अधिक सहज, सुंदर और यादगार हो जाएगी। यह एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक क्रांति जैसा बदलाव होगा।”
केंद्र सरकार से मिल चुके हैं 87.87 करोड़ रुपये
10 जुलाई को राजस्थान की भजनलाल सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करते हुए डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने 100 करोड़ रुपये से खाटूश्यामजी कॉरिडोर विकसित करने की बड़ी घोषणा की थी। उन्होंने यह भी बताया कि धार्मिक स्थलों जीणमाता और शाकंभरी मंदिरों में भी व्यापक विकास कार्य कराए जाएंगे। केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के तहत खाटू परियोजना के लिए 87.87 करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत हो चुके हैं। इसमें सड़क चौड़ीकरण, सौंदर्यकरण, चौराहों का विकास और आम जनता के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।
हालांकि इस परियोजना की राह पूरी तरह आसान नहीं है। उन्होंने माना कि “कुछ स्थानीय लोगों को जमीन छोड़नी पड़ सकती है, जिससे वे असहज हैं। लेकिन सरकार सभी को साथ लेकर चलना चाहती है।” इसी कारण कुछ स्थानों पर विरोध भी देखा जा रहा है, लेकिन संवाद और सहमति से रास्ता निकाला जाएगा।