राजस्थान की राजधानी जयपुर से एक दर्दनाक और दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। बुधवार सुबह जयपुर-अजमेर हाईवे पर एक केमिकल से भरा टैंकर अनियंत्रित होकर पलट गया और देखते ही देखते उसमें भीषण धमाके के साथ आग लग गई। इस हादसे में टैंकर ड्राइवर की मौके पर ही जलकर मौत हो गई। घटना के बाद हाईवे पर अफरा-तफरी मच गई और दोनों तरफ कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया।
मौके पर मची भगदड़, आग ने लिया विकराल रूप
यह भीषण हादसा मौखमपुरा पुलिया के पास सुबह के वक्त हुआ। टैंकर के पलटते ही उसमें धमाके के साथ आग लग गई। आग इतनी तीव्र थी कि वह टैंकर को पूरी तरह चपेट में ले चुकी थी। आग की भयावहता के कारण हाईवे पर चल रहे वाहन चालक डर के मारे अपनी गाड़ियां छोड़कर भागने लगे। मौके पर चीख-पुकार मच गई और चारों ओर धुआं ही धुआं छा गया।
दमकल को आग बुझाने में लगे दो घंटे, ड्राइवर की दर्दनाक मौत
स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचित किया। सूचना पर दूदू, फुलेरा सहित आसपास के कई इलाकों से आधा दर्जन से अधिक दमकल वाहन मौके पर पहुंचे, लेकिन आग की लपटें इतनी भीषण थीं कि दमकलकर्मी सीधे टैंकर तक नहीं पहुंच पाए। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। आग बुझने के बाद जब टैंकर के अंदर देखा गया तो उसमें ड्राइवर का शव पूरी तरह जला हुआ मिला। शव को पोस्टमार्टम के लिए एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी भेजा गया है।
हाईवे पर लगाया गया रोक, दो किलोमीटर तक लगा जाम
पुलिस ने हादसे के बाद हाईवे पर एहतियातन वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी जिससे दोनों तरफ लगभग दो किलोमीटर तक लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। जाम में फंसे लोगों को गर्मी और धुएं की वजह से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मौके पर जिला प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी भी पहुंच चुके हैं और राहत-बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। यातायात को जल्द ही पुनः सामान्य करने के प्रयास जारी हैं।
छह महीने पहले भी हुआ था बड़ा हादसा
गौरतलब है कि जयपुर-अजमेर हाईवे पर करीब छह महीने पहले भांकरोटा क्षेत्र में ऐसा ही एक भीषण हादसा हुआ था जिसमें केमिकल टैंकर पलटने के बाद आग लग गई थी और करीब 20 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे हादसे हाईवे की सुरक्षा व्यवस्था और खतरनाक रसायनों के ट्रांसपोर्ट को लेकर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
जयपुर-अजमेर हाईवे पर केमिकल टैंकर पलटने की यह घटना न केवल दर्दनाक है बल्कि यह एक बार फिर सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन पर सवालिया निशान छोड़ गई है। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए और अधिक कठोर कदम उठाए जाएं और रासायनिक टैंकरों के संचालन पर सख्त निगरानी रखी जाए।