अमिताभ बच्चन की गिनती भारतीय सिनेमा के सबसे सम्मानित और चहेते अभिनेताओं में होती है। उन्होंने अपने करियर में न जाने कितनी यादगार फिल्में दी हैं जिन्हें दर्शकों ने सिर आंखों पर बिठाया। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब दर्शकों ने उनकी एक फिल्म पर इतना गुस्सा दिखाया कि थिएटर की सीटें तक फाड़ दी गईं। यह वाकया जुड़ा है बिग बी की 1990 में आई फिल्म ‘अग्निपथ’ से, जिसमें उनके किरदार की आवाज दर्शकों को बिल्कुल रास नहीं आई थी।
बॉलीवुड की ऐतिहासिक फिल्मों में से एक ‘अग्निपथ’ का नाम न सिर्फ इसके दमदार अभिनय और संवादों के लिए याद किया जाता है, बल्कि इसके गहरे साहित्यिक और सामाजिक संदर्भों के लिए भी। यह फिल्म सिर्फ एक क्राइम ड्रामा नहीं थी, बल्कि उसमें भारत के प्रख्यात कवि और अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कविता ‘अग्निपथ’ की आत्मा भी समाहित थी। यह कविता फिल्म के दौरान कई बार सुनाई देती है और पूरी कहानी की थीमैटिक रीढ़ बनती है।
हरिवंश राय बच्चन की कविता से जुड़ी फिल्म की आत्मा
फिल्म का नाम ‘अग्निपथ’ सीधे तौर पर हरिवंश राय बच्चन की कविता से लिया गया था, जो संघर्ष, संकल्प और आत्मबल का प्रतीक है। फिल्म में यह कविता कई बार सुनाई देती है और नायक विजय दीनानाथ चौहान (अमिताभ बच्चन) के जीवन में उसे मार्गदर्शक की तरह प्रस्तुत किया गया है। यह साहित्यिक जुड़ाव फिल्म को अन्य गैंगस्टर फिल्मों से अलग करता है।
'अग्निपथ' की अनोखी डबिंग और दर्शकों का गुस्सा
1990 में रिलीज हुई फिल्म 'अग्निपथ' में अमिताभ बच्चन ने विजय दीनानाथ चौहान का प्रतिष्ठित किरदार निभाया था। इस भूमिका में गहराई लाने के लिए उन्होंने अपनी आवाज को बदलकर डब किया था। बिग बी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने एक व्यक्ति की भारी आवाज से प्रेरणा लेकर किरदार के लिए अपनी आवाज को भारी और भारी भरकम बना दिया था। लेकिन दर्शकों को यह प्रयोग बिल्कुल नहीं भाया।
वास्तविक माफिया से प्रेरित थी फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी आंशिक रूप से मुंबई के कुख्यात गैंगस्टर मान्या सुरवे की जिंदगी से प्रेरित थी। विजय दीनानाथ चौहान का किरदार उस समय के समाज, अपराध और व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करता हुआ दिखाई देता है, जो सामाजिक असमानताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक उग्र प्रतिक्रिया बन जाता है।
मिश्रित प्रतिक्रिया और बॉक्स ऑफिस पर असफलता
1990 में जब यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई, तो दर्शकों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही। हालांकि यह साल की चौथी सबसे अधिक कमाई करने वाली हिंदी फिल्म थी, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई। खासकर अमिताभ बच्चन की बदली हुई भारी आवाज को लेकर काफी विवाद हुआ था, जिसके कारण उन्होंने फिल्म को दोबारा अपनी असली आवाज में डब किया।
थिएटर में मची अफरा-तफरी, आवाज बदलने की मांग
फिल्म के रिलीज होते ही प्रोड्यूसर को थिएटरों से शिकायतें आने लगीं। दर्शकों ने कहा कि यह अमिताभ बच्चन की आवाज नहीं हो सकती। गुस्सा इतना ज्यादा था कि कुछ जगहों पर दर्शकों ने थिएटर में बवाल कर दिया और सीटें तक फाड़ दीं। वे साउंड सिस्टम को दोषी ठहराने लगे और डबिंग को दोबारा करने की मांग करने लगे।
अमिताभ ने मानी गलती, फिर से की डबिंग
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए अमिताभ बच्चन ने आखिरकार फिल्म को अपनी मूल आवाज में दोबारा डब किया। उनका यह कदम दर्शकों की नाराजगी को कम करने के लिए उठाया गया और इसके बाद फिल्म को फिर से सिनेमाघरों में उतारा गया।
मिथुन चक्रवर्ती का यादगार किरदार
‘अग्निपथ’ में मिथुन चक्रवर्ती ने ‘कृष्णन अय्यर एमए’ नामक किरदार निभाया था, जो न सिर्फ दर्शकों को बेहद पसंद आया, बल्कि आज भी इसे उनके सबसे अनोखे किरदारों में गिना जाता है। आईएमडीबी रिपोर्ट के अनुसार, यह किरदार मिथुन के एक पुराने रूममेट से प्रेरित था, जिनके साथ के एक किस्से को आधार बनाकर मिथुन ने किरदार को जीवंत किया।
कल्ट क्लासिक बनी फिल्म, बॉक्स ऑफिस पर औसत प्रदर्शन
हालांकि शुरूआत में फिल्म को पूरी तरह सराहना नहीं मिली, लेकिन समय बीतने के साथ इसे ‘कल्ट क्लासिक’ का दर्जा मिल गया। फिल्म को इसके स्टाइलिश निर्देशन, गहन अभिनय, और सामाजिक-राजनीतिक विषयवस्तु के लिए बाद में बहुत सराहा गया।
रिलीज के वक्त ‘अग्निपथ’ को दर्शकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली थी और बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने लगभग 10 करोड़ की कमाई की थी, जो उस समय के हिसाब से औसत मानी गई। लेकिन समय के साथ यह फिल्म एक ‘कल्ट क्लासिक’ बन गई और आज भी अमिताभ के प्रशंसक इसे बेहद खास मानते हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कारों में मिला सम्मान
38वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में अमिताभ बच्चन को ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेता’ का पुरस्कार मिला – यह उनके करियर का इस श्रेणी में पहला राष्ट्रीय सम्मान था। इसके अलावा, 36वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में मिथुन चक्रवर्ती को सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता और रोहिणी हट्टंगडी को सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का पुरस्कार मिला।
2012 में बनी रीमेक, श्रद्धांजलि के रूप में
‘अग्निपथ’ की लोकप्रियता और प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, 2012 में करण मल्होत्रा द्वारा इसी नाम से फिल्म का रीमेक बनाया गया। इसे करण जौहर ने अपने पिता यश जौहर को श्रद्धांजलि स्वरूप प्रोड्यूस किया था। इस नई फिल्म में ऋतिक रोशन, संजय दत्त और प्रियंका चोपड़ा ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं।
‘अग्निपथ’ उस दौर की फिल्म है जिसने यह साबित किया कि कलाकार का हर प्रयोग दर्शकों को पसंद नहीं आता, लेकिन जब वही फिल्म समय की कसौटी पर खरी उतरती है तो उसे क्लासिक का दर्जा मिल जाता है। अमिताभ बच्चन का आवाज को लेकर किया गया प्रयोग उस वक्त विवाद का कारण बना, लेकिन उनकी ईमानदारी और दर्शकों की भावनाओं को समझते हुए किया गया पुनः डबिंग का फैसला आज भी एक मिसाल के रूप में याद किया जाता है।
‘अग्निपथ’ एक ऐसी फिल्म है जिसने भारतीय सिनेमा को न केवल शैली के स्तर पर चुनौती दी, बल्कि साहित्य और सिनेमा के मेल को भी दिखाया। यह फिल्म दर्शकों को बताती है कि कैसे एक कविता, एक माफिया कहानी, और एक अभिनेता की निष्ठा मिलकर एक अमर सिनेमाई अनुभव गढ़ सकते हैं। समय के साथ इस फिल्म की अहमियत और भी गहरी होती चली गई – और यही है इसकी असली जीत।