नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को प्रमुख ऋण दर या रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की, जिससे यह 6% पर आ गई। गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 7 अप्रैल से शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक के समापन के बाद इस निर्णय की घोषणा की गई।
संजय मल्होत्रा ने कहा, "विकसित हो रही व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थितियों और दृष्टिकोण के विस्तृत मूल्यांकन के बाद, एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंकों से घटाकर 6% करने के लिए मतदान किया।"
इस साल फरवरी में RBI ने रेपो रेट में 0.25% कटौती की थी
फरवरी में 25 आधार अंकों की कटौती के बाद यह लगातार दूसरी दर कटौती है। दिसंबर 2024 में RBI गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से संजय मल्होत्रा का यह दूसरा बड़ा संबोधन भी है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब मुद्रास्फीति 4% से नीचे गिर गई है और धीमी आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं। केंद्रीय बैंक ने मांग को समर्थन देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है। ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई।
तरलता समायोजन सुविधा के अंतर्गत स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर को 5.75% तक समायोजित किया गया, तथा सीमांत स्थायी सुविधा दर (एमएसएफ दर) को 6.25% तक समायोजित किया गया। आरबीआई ने भी अपना पूर्व रुख तटस्थ से बदलकर 'समायोज्य' कर दिया।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, "इसके अलावा स्टॉक को तटस्थ से समायोजित करने का भी निर्णय लिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि तेजी से विकसित हो रहे हालात के लिए आर्थिक परिदृश्य की निरंतर निगरानी और आकलन की आवश्यकता है।"
आमतौर पर हर दो महीने में होती है RBI की मीटिंग
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 RBI के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। RBI की मीटिंग आमतौर पर हर दो महीने में होती है।
बीते दिनों रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकों का शेड्यूल जारी किया था। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हो रही है।
रेपो रेट के घटने से क्या बदलाव आएगा?
रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर अपनी ब्याज दरें कम कर सकते हैं। वहीं ब्याज दरें कम होंगी तो हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे।
रेपो रेट क्या है, इससे लोन कैसे सस्ता होता है?
RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों के लोन सस्ता मिलता है, तो वो अकसर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।
रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है?
किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।
पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।
इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।