महाकुंभ में आए 'करेंसी वाले बाबा', RBI की नौकरी छोड़कर बने थे सन्यासी

By: Sandeep Gupta Sat, 25 Jan 2025 3:32:31

महाकुंभ में आए 'करेंसी वाले बाबा', RBI की नौकरी छोड़कर बने थे सन्यासी

प्रयागराज महाकुंभ में साधु-संतों की मौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है। इन्हीं में से एक हैं श्री श्री 1008 रामकृष्ण दास जी महाराज, जिन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में कंप्यूटर इंजीनियर की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर संन्यास की दीक्षा ली थी। लाखों रुपये के सालाना पैकेज और युवा अवस्था में नौकरी छोड़ने का उनका निर्णय सबके लिए प्रेरणा और जिज्ञासा का विषय है। रामकृष्ण दास जी महाराज वैष्णव संप्रदाय के निर्वाणी अनी अखाड़े से जुड़े हुए हैं। उनका गोरखपुर के चौरी चौरा इलाके से संबंध है और वे आजमगढ़ के कोल्हू नाथ राम जानकी मंदिर के महंत हैं। रामकृष्ण दास जी महाराज ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री पूरी करने के बाद, 1991 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में नौकरी हासिल की। उन्होंने तीन साल तक नासिक, देवास और नोएडा में कंप्यूटर इंजीनियर के तौर पर काम किया। नोएडा में रहते हुए उनकी मुलाकात महंत राम प्रसाद से हुई, जो उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। उनके सानिध्य में कुछ समय बिताने के बाद, रामकृष्ण दास जी महाराज का मन भौतिक जगत से हटकर आध्यात्मिक मार्ग पर लगने लगा। इसके बाद उन्होंने आरबीआई की नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर संन्यास की दीक्षा ले ली।

'करेंसी वाले बाबा' के नाम से जानते हैं

रामकृष्ण दास जी महाराज, जिन्हें लोग 'करेंसी वाले बाबा' के नाम से जानते हैं, ने अपनी भौतिक सफलता और प्रतिष्ठित करियर को छोड़कर संन्यास का मार्ग चुना। उन्होंने 1994 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की नौकरी से त्यागपत्र देकर अपने गुरु महंत राम प्रसाद को मार्गदर्शक मानते हुए आध्यात्मिक जीवन को अपनाया। महंत राम प्रसाद के सानिध्य में कुछ समय बिताने के बाद, रामकृष्ण दास जी महाराज ने वैष्णव संप्रदाय के निर्वाणी अनी अखाड़े से जुड़ने का निर्णय लिया। यहां उन्होंने सनातन धर्म की सेवा और प्रचार-प्रसार के लिए खुद को समर्पित किया। उन्होंने आजमगढ़ में अपना आश्रम स्थापित किया, जहां से वे शिक्षा और धर्म का प्रसार करते रहे। रामकृष्ण दास जी महाराज के आश्रम द्वारा संचालित कई विद्यालय आज भी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। अपने अनूठे व्यक्तित्व और रिजर्व बैंक से जुड़े अपने अतीत के कारण, लोग उन्हें प्यार से 'करेंसी वाले बाबा' कहते हैं। महंत रामकृष्ण दास जी महाराज का शिविर प्रयागराज महाकुंभ में सेक्टर 5 में स्थित है। यहां हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु उनके दर्शन और आशीर्वाद के लिए आते हैं। अपने त्याग और सेवा भाव के कारण वे महाकुंभ में साधु-संतों और श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण बने हुए हैं।

RBI की नौकरी में नहीं था सुकून

स्वामी रामकृष्ण दास जी महाराज का मानना है कि भले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नौकरी में नाम, प्रतिष्ठा और पैसा सब कुछ था, लेकिन अंतरमन को सुकून और शांति नहीं मिल रही थी। उन्होंने कहा, 'नौकरी में भौतिक सुख तो था, लेकिन आत्मिक संतोष की कमी थी। संन्यासी जीवन में आने के बाद मुझे दूसरों की सेवा करने और सनातन धर्म का प्रसार करने का सच्चा आनंद मिला।' स्वामी रामकृष्ण दास जी महाराज ने बताया कि शुरुआत में एक-दो बार उन्हें यह महसूस हुआ कि शायद उन्होंने नौकरी छोड़ने का गलत फैसला कर लिया है। लेकिन जल्द ही यह एहसास हुआ कि दूसरों की सेवा करना और मानवता के लिए काम करना ही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है। यही उनके जीवन को सही दिशा देने वाला मोड़ साबित हुआ। उन्होंने कहा कि उनके शिविर में आने वाले श्रद्धालुओं को वे हमेशा यह संदेश देते हैं कि मानव धर्म का पालन करें। दूसरों की मदद करना, प्रेम और दया दिखाना, और अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाना ही सच्चा धर्म है। स्वामी रामकृष्ण दास जी महाराज के अनुसार, भौतिक सुखों से भरे जीवन को त्यागकर उन्होंने जो आध्यात्मिक मार्ग अपनाया, वही उनके जीवन का सबसे बड़ा और सही निर्णय था। उनकी यह यात्रा समाज के लिए प्रेरणा है कि सच्चा आनंद बाहरी चीज़ों में नहीं, बल्कि सेवा और धर्म के पालन में है।

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