मार्केट में दांत चमकाने के दावे करने वाले कई तरह के टूथपेस्ट मौजूद हैं। टीवी विज्ञापनों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह इन प्रोडक्ट्स की भरमार है। हालांकि, अक्सर डेंटल एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि इनका ज्यादा इस्तेमाल दांतों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। पुराने जमाने में लोग दातुन का इस्तेमाल करते थे, जिससे न केवल दांत प्राकृतिक रूप से साफ और चमकदार रहते थे, बल्कि मसूड़ों की भी बेहतर देखभाल होती थी। यही कारण है कि पहले के लोग उम्र बढ़ने के बावजूद भी अपने मजबूत दांतों के लिए जाने जाते थे।
आजकल कम उम्र में ही दांतों में सड़न, मसूड़ों से खून आना और सांसों की बदबू जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। इसके पीछे खानपान की आदतों के साथ-साथ केमिकल युक्त टूथपेस्ट और ब्रश का अत्यधिक इस्तेमाल भी एक बड़ा कारण है।
दातुन न केवल एक प्राकृतिक टूथब्रश है, बल्कि यह आपके मुंह के बैक्टीरिया को मारकर ओरल हेल्थ को संतुलित बनाए रखता है। यह एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। आज भी भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोग दातुन का प्रयोग करते हैं और उनके दांतों की मजबूती इसका प्रमाण हैं।
अगर आप भी अपने दांतों को नैचुरल तरीके से स्वस्थ और मजबूत बनाए रखना चाहते हैं, तो दातुन एक बेहतरीन विकल्प है। आइए जानते हैं ऐसे 5 पेड़ों के बारे में जिनकी टहनियों का दातुन के रूप में उपयोग करके आप अपने दांतों की चमक और ओरल हेल्थ को बनाए रख सकते हैं।
नीम का दातुन
दातुन की बात हो और नीम का ज़िक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। यह सबसे पुराने और विश्वसनीय प्राकृतिक टूथब्रश में से एक है। नीम की टहनियों में प्रचुर मात्रा में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो मुंह में बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते। नियमित रूप से नीम की दातुन करने से दांतों में कैविटी की संभावना काफी कम हो जाती है और मसूड़ों से जुड़ी समस्याएं भी दूर रहती हैं। नीम दांतों को मजबूत बनाने के साथ ही सांसों की दुर्गंध को भी दूर करता है और मुंह के छाले या इन्फेक्शन से भी सुरक्षा देता है।
पीलू का दातुन (मिसवाक ट्री)
शायद आपने "पीलू" पेड़ का नाम न सुना हो, लेकिन मिसवाक का नाम तो ज़रूर सुना होगा। दरअसल, पीलू का पेड़ ही मिसवाक ट्री कहलाता है, जिसे पारंपरिक इस्लामिक संस्कृति में भी बहुत पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। पीलू की टहनी में मौजूद प्राकृतिक तत्व ना केवल दांतों को चमकदार और मजबूत बनाते हैं, बल्कि मसूड़ों की सूजन, खून आना और सांसों की बदबू जैसी समस्याओं को भी दूर करने में कारगर हैं। यही कारण है कि आज भी कई कंपनियां मिसवाक का इस्तेमाल अपने टूथपेस्ट में करती हैं। इस दातुन की खास बात ये है कि यह मुंह की पूरी सफाई करता है और दांतों की जड़ों को भी मज़बूती देता है। पीलू की दातुन पूरी तरह से नैचुरल और केमिकल-फ्री होती है, इसलिए इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।
बबूल का दातुन
बबूल एक ऐसा पेड़ है जिसकी छाल और टहनियां सदियों से आयुर्वेद में ओरल हाइजीन के लिए इस्तेमाल होती रही हैं। आजकल तो मार्केट में ऐसे कई टूथपेस्ट और माउथवॉश मिल जाएंगे जिन पर लिखा होता है – "with Babul extract", यानी इनमें बबूल का अर्क शामिल है। बबूल की टहनी से दातुन करने से दांतों की चमक बढ़ती है, मसूड़े मज़बूत होते हैं और प्लाक जैसी समस्याएं कम होती हैं। इसमें मौजूद प्राकृतिक कसैला तत्व (astringents) मसूड़ों को टाइट करते हैं और खून निकलने की समस्या में राहत देते हैं।
खैर का दातुन
खैर की लकड़ी में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। आप इसकी टहनी से दातुन बनाकर दांतों को न सिर्फ चमका सकते हैं, बल्कि कैविटी जैसी समस्याओं से भी बच सकते हैं। खैर का दातुन उन लोगों के लिए भी बेहद फायदेमंद है जो पहले से ही मसूड़ों की सूजन, खून आना या दांतों में सड़न जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करने से मुंह की सफाई अच्छी रहती है और दांत लंबे समय तक मजबूत बने रहते हैं।
मुलेठी का दातुन
मुलेठी तो हर भारतीय रसोई या जड़ी-बूटियों की किट में मिल ही जाती है, लेकिन क्या आपने इसका दातुन करने के फायदे सुने हैं? मुलेठी की जड़ में एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो मुंह की दुर्गंध को दूर करने के साथ ही मसूड़ों को भी स्वस्थ बनाए रखते हैं। इसके अलावा यह गले की खराश और मुंह के छालों जैसी समस्याओं से भी राहत देती है। मुलेठी का दातुन दांतों को चमकदार और मजबूत बनाने के लिए एक शानदार प्राकृतिक उपाय है।