प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी, राहुल गांधी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इस कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने इसे बदले की राजनीति करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट में दायर की गई इस चार्जशीट में सुमन दुबे समेत कुछ अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं। अदालत इस मामले पर 25 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
इससे पहले 11 अप्रैल को ED ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के संपत्ति रजिस्ट्रारों को नोटिस जारी किए थे। ये नोटिस एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की उन संपत्तियों से जुड़े थे, जिन्हें यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) नाम की कंपनी ने अधिग्रहित किया था। यह कंपनी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के प्रत्यक्ष स्वामित्व वाली बताई जा रही है।
ED के मुताबिक, इस मामले की जांच में करीब 988 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का पता चला है, जो AJL की संपत्तियों से जुड़ी बताई गई है। अथॉरिटी ने हाल ही में इन संपत्तियों की अस्थायी जब्ती को वैध ठहराया था, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की गई।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों की जब्ती कानून की आड़ में किया गया एक राज्य-प्रायोजित अपराध है। यह चार्जशीट बदले की राजनीति और डराने-धमकाने की रणनीति का हिस्सा है, जो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की ओर से हो रही है। लेकिन कांग्रेस और इसकी नेतृत्व को चुप नहीं कराया जा सकता। सत्यमेव जयते।"
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
इस केस की शुरुआत 2014 में तब हुई जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर कर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं पर धोखाधड़ी से AJL की करोड़ों की संपत्तियों को YIL के माध्यम से मात्र 50 लाख रुपये में हड़पने का आरोप लगाया।
ED ने इस शिकायत के आधार पर 2021 में औपचारिक रूप से जांच शुरू की। जांच के दौरान एजेंसी ने कई ठिकानों पर छापेमारी की और दस्तावेज़ जब्त किए, जिनसे वित्तीय गड़बड़ियों के और भी स्तर सामने आए।
ED के अनुसार, AJL और YIL के नेटवर्क का इस्तेमाल कर फर्जी दान, एडवांस किराया और विज्ञापनों के जरिए करीब 85 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई।
गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी। यह कांग्रेस के उदारपंथी विचारों को मंच देने के लिए शुरू किया गया था।
स्वतंत्रता के बाद यह अखबार कांग्रेस पार्टी का मुख्य प्रचार माध्यम बन गया। AJL द्वारा प्रकाशित इस अखबार के साथ एक हिंदी और एक उर्दू अखबार भी चलाए जाते थे। लेकिन 2008 में लगभग 90 करोड़ रुपये के कर्ज के चलते इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया।